​फिल्म समीक्षा: ​​'ट्रांसफॉर्मर्स: ​​'ऐज ऑफ एक्सटेंशन' ​- ​​औसत लेकिन रोमांचक ​

Sunday, June 29, 2014 12:27 IST
By Santa Banta News Network
​​​​अभिनय: मार्क ​​वॉलबर्ग, स्टैनली ​​टूसी, केल्सी ग्रामर, निकोला ​​पेल्ट्ज, जैक रेनॉर, सोफिया माइल्स​

​ निर्देशक: माइकल बे​

​ स्टार:***​

ब्लॉकबस्टर​ फिल्म श्रंखला ​'ट्रांसफॉर्मर्स​: ​'ऐज ऑफ एक्सटेंशन'​, ​​एलियंस बनाम आदमी​ की तरह के तरह की एक फ़िल्म है। जिसमें मानवों की आजादी दांव पर लगी हुई है, और जिसमें निर्दोष और मासूम लोग बिना वजही अपनी जिंदगी से हमेशा के लिए हाथ धो देते हैं।

कुछ हद तक ​फिल्म ​अस्पष्ट ​सी ​लगती है, जो मानवों और दानव के आकार के यांत्रिक ​​स्थानांतरण​ ​​जीवों के आस-पास घूमती है। ये बड़े आकार के यांत्रिक यंत्र ऑटोबॉट्स और डेप्टिकस ​हैं। ​​हालाँकि फिल्म की कहानी बेहद उलझी हुई लगती है, लेकिन फिर भी कहा जा सकता है कि ये मनोरंजक है।

​​ ​फिल्म की कहानी एक प्रस्तावना से शुरु होती है, जिसे फिल्म की मुख्य कहानी से अलग नहीं किया जा सकता। और जो लाखों साल पहले के समय के रहस्यों का ख़ुलासा करती है। जब डायनासोर जमीन पर घूमा करते थे​। एक अंतरिक्ष विदेशी आक्रमण​ के कारण वे विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए। साथ ही उनके आक्रमण में प्रयोग किये गये गोला बारूद ने जीवित जीवों को ​​'​ट्रांसफॉर्मियम​'​ ​में बदल दिया।​ यह वह धातु थी जिस से बाद में ट्रान्सफ़ॉर्मर्स बने।

इसके बाद फिल्म अपने वर्तमान समय यानी मुख्य मक़सद पर आ जाती है। जिसमें ऑप्टिमस (पीटर कुलन की आवाज में) सभी ऑटोबॉट्स का मुखिया है। ​​वहीं अमेरिकी सरकार ​इन्हें धरती से खदेड़ने पर तुली हुई है​, जिसके लिए वह ​केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) काले ऑप्स टीम​ का सहारा लेती है।

वहीं ​एक अनुसंधान समूह​ 'केएसआई' एक बहतरीन ट्रांसफॉर्मर बनाना चाहता है। इस टीम को सीईओ ​​जोशुआ जॉयस (स्टैनली टूसी) द्वारा निर्देशित किया जाता है। जिन्हें उत्तरी ध्रुवी में एक ऐसे ​धात्विक डायनासोर जीवाश्म​ प्राप्त होते हैं जो इतिहास बदल ​धातु ​मिलती है जो इतिहास बदल सकती है। इसके लिए वह​​ एजेंट हैरल्ड एटिंगर (केल्सी ग्रामर) के साथ सहयोग​ करते हैं।

​वहीं दूसरी और एक सरल आविष्कारक और स्क्रैप डीलर ​​केड येगर (मार्क वॉलबर्ग)​ को एक ऑप्टिमस प्राइम की जानकरी मिल् जाती है, जो ट्रक के रूप में परिवर्तित है। इसका खुलासा तब होता है जब इस ट्रक की वह मरम्मत करता है और जिसके बाद वह अपने एक्शन मोड़ पर आ जाता है।

​​वहीं उसकी बेटी टेस्सा येगर (निकोला पेल्ट्ज) ​और उसका एक बिजनेस पार्टनर ​​​लुकास (टी.जे. मिलर) ​सलाह देता है कि तुम इस रोबोट को सरकार को सौंप दो, लेकिन वह नहीं मानता। लेकिन जब वह इसके लिए अपना मन बनाता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। ​और पुराने ट्रक ​के रूप का वह ऑप्टिमस प्राइम अपने अस्तित्व में आ ​जाता है​, जिसके बाद वह हैरल्ड ​और उसके साथियों ​के ​लिए मुसीबत बन जाता है​।​ ​इसके बाद हैरल्ड और जोशुआ प्राइम के ​साथ एक बेहद​ ​ताकतवर ट्रांसफॉर्मर गैल्वाट्रॉन को ​लाते हैं​।​​

​ ​​फिल्म में भरपूर एक्शन की साथ नरसंहार भी शामिल है​। फिल्म का क्लाइमेक्स हॉन्ग कॉन्ग में होता है, जहाँ हीरो विरोधियों और ख़तरनाक़ शक्तियों का पीछा करते हैं।​

​ ​ ​​अगर अभिनय की बात की जाए तो अभिनेता वॉलबर्ग और टूसी आपने रोबोट समकक्षों में फिट हों जाते है। वहीं दुर्भाग्य से ​पेल्ट्ज, जैक रेनॉर​ की केमिस्ट्री को बेहद कम मौका दिया गया है, और वह इतनी प्रभावी भी नहीं लगती।

​ ​इस बार माइकल बे ने ​पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा प्रभावशाली और ​उन्नत सी-आईजी तकनीक, 3डी प्रभाव और प्रभावी बैकग्राउंड​ का प्रयोग किया है। ट्रांसफॉर्मर और विशाल पैमाने पर ​एक्शन दृश्य बेहद आश्चर्यजनक ​तरीके से फिल्माए गए हैं। फिल्म में कहीं-कहीं हास्य से आराम दायक स्थिति भी पैदा की गई है। जो फिल्म की रचनात्मक टीम ​के सुस्त उत्पादन​ का नतीजा लगती है। ​​ कुल मिलाकर फिल्म रोमांच, एक्शन से भरपूर एक मनोरंजक केमिस्ट्री है।
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