एक बार एक धार्मिक बाबा की मृत्यु हो गयी और वो यमलोक पहुँच गया,
वहां उससे आगे एक और आदमी खड़ा था जो चटकीले कमीज चमड़े की जैकेट जींन्स और आँखों पर चश्मा लगाये खड़ा था! यमराज ने उसे आवाज लगाते हुए पूछा तुम अपने बारे में बताओ ताकि मुझे ये पता लग जाये की तुम्हें स्वर्ग भेजना है या नरक! उस आदमी ने कहा जी मैं मुंबई टैक्सी स्टैंड का ड्राईवर हूँ, यमराज ने चित्रगुप्त से उसका लेखाजोखा निकालने को कहा चित्रगुप्त ने उसका लेखाजोखा निकालकर यमराज को दिया यमराज ने उसका लेखाजोखा देखा और उसे रेशमी वस्त्र और सोने की छड़ी दी और कहा कि आप स्वर्ग चले जाएँ! बाबा ये सब देख रहा था तभी उसके कानों में एक आवाज सुनाई दी, जी आप आ जाईये अपने बारे में बताएं वह आगे बढ़ा और कहने लगा: मैं एक धार्मिक मठ का बाबा हूँ और मैंने पिछले 30 वर्ष उस मठ को सेवाएँ दी है, यमराज ने चित्रगुप्त से उसका लेखाजोखा देने को कहा चित्रगुप्त ने दे दिया यमराज ने उसका लेखाजोखा देखा और उसे खादी का कम्बल और लकड़ी की छड़ी पकड़ाते हुए कहा की नरक में चले जाओ! जब वो जाने लगा तो उसने यमराज से पूछा कि एक मिनट, मेरे से पहले जो आदमी गया वो एक मामूली टैक्सी ड्राईवर था और आपने उसे रेशमी वस्त्र सोने कि छड़ी दी और स्वर्ग भेज दिया जब कि मुझे.. वो अपनी बात पूरी करता इससे पहले ही यमराज बोल पड़ा: जब तुम प्रवचन सुनाते थे तो लोग सो जाते थे जब वो लोगों को टैक्सी में कहीं छोड़ता तो लोग उसे दुआएं देते धन्यवाद करते थे इसीलिए.. |