एक दिन एक छोटा सा बच्चा अपनी छोटी सी गाड़ी घसीटता हुआ चर्च से गुज़र रहा था। उपदेशक वहीं पर बाहर बैठे हुए थे, तभी गाड़ी का एक पहिया खुलकर गिर गया। “हे भगवान!” लड़का चिल्लाया, उपदेशक ने कहा, बेटे, ऐसा नहीं कहते, कहो ‘भगवान की इच्छा! लड़के ने पहिया वापिस लगाया और घर चला गया! अगले दिन, छोटा बच्चा फिर से उस चर्च के पास से गुज़र रहा था और उपदेशक भी बाहर थे इस बार दो पहिये खुल गए और लड़का फिर से चिल्लाया, हे भगवान! उपदेशक ने फिर कहा, बेटे, ऐसा नहीं कहते, कहो ‘भगवान की इच्छा' लड़के ने पहिया ठीक किया और घर चला गया! अगले दिन, बच्चा फिर से चर्च के पास से गुज़रा, उपदेशक इस बार भी बाहर खड़े थे! उसकी गाड़ी के तीन पहिये खुल कर गिर गए और लड़का फिर चिल्ला पड़ा, 'हे भगवान!' उपदेशक ने फिर से कहा, बेटे ऐसा नहीं कहते, कहो ‘भगवान की इच्छा!' लड़का तीनों पहिये गाड़ी में लगाता है और वापस घर चला जाता है! चौथे दिन भी लड़का चर्च के पास से गुज़र रहा था उपदेशक बाहर खड़े थे, और इस बार गाड़ी के चारों पहिये खुल कर गिर जाते हैं, लड़का गाड़ी को देखकर कहता है, भगवान की इच्छा! अचानक चारों पहिये उछलकर गाड़ी में लग जाते हैं और उपदेशक कहता है, हे भगवान! |