एक छोटे से कस्बे में एक आदमी ने बार बिजनेस शुरू करने की सोची! जो जगह उसने बार खोलने के लिए चुनी वह बिल्कुल मंदिर के सामने थी! मंदिर कमेटी ने इस बात का बड़ा विरोध किया कि वहां पर बार कतई नहीं खुलना चाहिए! मंदिर के पुजारियों ने तो आत्मदाह तक करने की धमकी दे डाली और एक याचिका कोर्ट में दे दी कि कोर्ट आदेश दें की वह आदमी मंदिर के सामने बार न बनायें! पर वह बिजनेसमैन नही माना उसने बार बनाने के लिए निर्माण कार्य शुरू कर दिया! जब यह बनकर पूरा होने वाला था तो एक दिन अचानक ही जोर की बिजली कड़की और उसका बार पूरा टूट गया! मंदिर कमेटी के सभी लोग काफी संतुष्ट थे कि बिना किसी विवाद के उसका बार खुद ही टूट गया! परन्तु बार के मालिक ने कोर्ट जाकर मंदिर कमेटी के खिलाफ याचिका दर्ज की कि उसका बार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर मंदिर वालों द्वारा की गयी प्रार्थनाओं की वजह से ही टूटा है! कोर्ट ने दोनों पक्षवालों को कोर्ट में आने के आदेश दिए दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जज काफी असमंजस की स्थिति में पहुँच गया कि वह क्या निर्णय दें? फिर जज ने दोनों पक्षों कि दलीलें सुनने व कागजी कार्यवाही देखने के बाद बोला मैं नही जानता कि मैं क्या नतीजा सुनाऊं? एक तरफ बार वाला है जो भगवान से कि गयी प्रार्थना पर विश्वास करता है और एक तरफ मंदिर के वे अधिकारी है जो हमेशा मंदिर में ही रहते है पर प्रार्थना पर विश्वास नही करते! |