एक एरिया में एक भाई रहता है, उस एरिया के सभी लोग उसे चमन भाई कह कर बुलाते है क्योंकि उसके इलाके में उसी की हुकूमत चलती है; इसलिए उसके एरिया में जो भी लफड़ा होता है, पुलिस से पहले उसे चमन भाई की अदालत में ले जाया जाता हैं, एक बार भाई के एरिया में रेप हो जाता है, और जिसने रेप किया होता है , उसको पकड़ कर चमन भाई के पास ले जाया जाता हैं, तो चमन भाई पहले तो बहुत शान्ति से बात करता है और कहता है! चमन: क्या रे? तेरे को मालूम नहीं यह आपुन का एरिया है! मुजरिम: हाँ, मालूम है, न भाई! चमन: फिर कैसे हिम्मत की, रेप करने की आपुन के एरिया में! मुजरिम: अब क्या बोलूं भाई, किस्मत ख़राब थी! चमन: चल मेरे को सब कुछ सच-सच बता, क्या और कैसे हुआ! मुजरिम: अभी क्या न भाई, इधर नाके पर आपुन पान खाने के लिए आया! चमन: फिर? मुजरिम: आपुन खड़ें होके पान खरेला था, और उतने में सामने वाली बिल्डिंग पर आपुन की नज़र गयी! चमन: आगे बोल! मुजरिम: उधर तीसरे मंजिलें पर एक चिकनी खड़ी हुई थी! चमन: फिर क्या हुआ? मुजरिम: आपुन को ऐसा लगा कि, उसने आपुन को आने के लिए इशारा किया! चमन: फिर तूने क्या किया? मुजरिम: आपुन सोचा कि कुछ काम होएंगा उसको, तो आपुन बिल्डिंग के नीचे चला गया! चमन: फिर? मुजरिम: उसने इशारे से आपुन को ऊपर बुलाया, आपुन सीढ़ी चढ़ते हुए यही सोचरेला था, "चमन भाई का एरिया है, लफड़ा नहीं करने का!" चमन: चल फटाफट आगे बोल! मुजरिम: आपुन ने उसको जा के बोला, क्या काम है; काईको इशारा किया आपुन को? चमन: फिर? मुजरिम: फिर क्या भाई, आपुन को उसने घर के अंदर खींच लिया! चमन: (उत्साहित होकर) फिर? मुजरिम: आपुन घर में तो चला गया लेकिन यही सोच रहा था कि, "चमन भाई का एरिया है, साला लफड़ा नहीं करने का!" चमन: चल आगे बोल! मुजरिम: उसने आपुन का हाथ पकड़ लिया! चमन: अच्छा फिर? मुजरिम: सच्ची बोलता है चमन भाई, हाथ पकड़ते ही, आपुन फिर सोचा, "चमन भाई का एरिया है, साला कोई लफडा नहीं करने का है!" चमन: फिर क्या हुआ? मुजरिम: फिर क्या था, उसने बोला चिकने मेरी प्यास बुझा दें! चमन (और अधिक उत्साह से): फिर तु क्या बोला ? मुजरिम: फिर क्या बोलता भाई, उसने अपना दुपट्टा नीचे गिरा दिया! चमन: तो फिर क्या हुआ? मुजरिम: आपुन के दिमाग का दही हो गया, क्या गोल गुम्बद थे साली के, लेकिन भाई फिर भी, आपुन सोचा "चमन भाई का एरिया है लफड़ा नहीं करने का!" चमन: फिर तूने क्या किया? मुजरिम: आपुन बोला एक-दो किस करेगा और चला जायेगा, ज्यादा बोली तो बॉडी काम करेंगा लेकिन आपून का इंजन नहीं खोलने का, आखिर "चमन भाई का एरिया है, लफड़ा नहीं करने का!" चमन: तो फिर? मुजिरम: उसने आपुन को खींच लिया, सच्ची बोलता है भाई, ऐसी कातिल जवानी आपुन, अपनी लाइफ में नहीं देखा! चमन (अतिउत्साहित होते हुए): हाँ, वो तो है, तू आगे बोल! मुजरिम: फिर क्या था, आपुन ने किस्स किया, गोल गुम्बद भी दबाया, लेकिन ईमान से बोलता हैं भाई, यही सोच रहा था "चमन भाई का एरिया है, लफड़ा नहीं करने का!" चमन: आगे बोल? मुजरिम: फिर उसने अपनी कमीज़ उतार दी! चमन: फिर? मुजरिम: फिर सलवार, लेकिन आपुन के दिल में एक ही ख्याल आ रहा था, " चमन भाई का एरिया है, लफड़ा नहीं करने का!" चमन: आगे-आगे! मुजरिम: फिर ब्लाउज और पेंटी साली ने सब उतार दी! चमन: सही में? मुजरिम: फिर मेरी पैंट खींच ली! चमन: अच्छा! मुजरिम: फिर मेरी कच्छे में हाथ डाल दिया! चमन: ओह! मुजरिम: फिर उसने मेरा कच्छा उतार दिया , और मेरे शरीर पर हाथ फेरने लगी बस फिर क्या था मैं भी गर्म होने लगा पर भाई फिर भी मैंने सोचा "चमन भाई का एरिया है, लफड़ा नहीं करने का!" चमन: गुस्से में, आगे आगे बोल सालें! मुजरिम: फिर उसने मेरा लंड अपने मुह मैं ले लिया, लेकिन भाई कसम से, फिर भी मैं यही सोच रहा था, "चमन भाई का एरिया है!" चमन (गुस्से में मुजरिम की बात काटते हुए) : अबे, भोंसड़ी के माँ चुदाने गया तेरा चमन भाई! मुजरिम: यहीच- यहीच, भाई अपुन ने भी यहीच सोचा और गेम बजा डाली! |