सूबेदार संता को शर्त लगाने कि बड़ी ही गन्दी आदत होती है, जिससे कि उसकी पल्टन के सभी अफसर परेशान होते हैं, पर फिर भी संता अपनी आदतों से बाज़ नहीं आता और एक दिन अपनी पल्टन के मेजर के पास जाता है और उससे कहता है; संता: "सर आज में अपनी ज़िन्दगी आखिरी शर्त लगा रहा हूँ और मेरी इच्छा है की वह शर्त में आपके साथ लगाऊं!" आखिरी शर्त वाली बात सुन कर मेजर ख़ुशी-ख़ुशी राजी हो जाता है और संता से कहता है; मेजर: "ठीक है, मुझे मंज़ूर है, बोलो क्या शर्त है?" संता: "आपको बवासीर है!" मेजर: "मैं शर्त लगाता हूँ की मुझे बवासीर नहीं है!" संता: "ठीक है, तो में आपकी गांड में ऊँगली डाल के चैक करूँग अगर आपको बवासीर नहीं हुई तो में आपको पांच हज़ार रूपए दूंगा और अगर हुई तो आप मुझे पांच हज़ार रूपए देना!" संता की बात सुन मेजर ख़ुशी-ख़ुशी राज़ी हो जाता है और संता मेजर की गांड में ऊँगली डाल देता है, की तभी अचानक खिड़की के बहार से रोने पीटने की आवाजें आने लगती है! यह शोर-गुल सुन मेजर फटाफट पेंट पहन कर बहार आता है तो देखता है की बहार खड़े हुए कुछ सिपाही रो रहे होते हैं, उनको रोता देख मेजर उनसे उनके रोने का कारण पूछता है, जिस पर एक सिपाही जवाब देता है; सिपाही: "साहब, आपकी वजह से हमारा पचास हज़ार रूपए का नुक्सान हो गया!" सिपाही की बात सुन मेजर हैरानी से सिपाही से पूछता है, "मेरी वजह से तुम्हारा नुक्सान वो कैसे?" सिपाही: "साहब, इस कमीने संता ने हमसे पचास हज़ार रूपए की शर्त लगाईं थी, कि ये आपकी गांड में ऊँगली करके दिखाएगा और अब ये जीत गया!" |