पाँचो पांडव द्रोणाचार्य से धनुष विद्या सीख रहे थे। शिक्षा की समाप्ति पर द्रोणाचार्य बोले, आज तुम लोगो की परीक्षा है। द्रोणाचार्य ने एक चिड़िया पेड़ पर रख दी और बोले, युधिष्टर बेटा चिड़िया की आँख में तीर मारो। युधिष्टर ने चिड़िया की आँख में निशाना लगाकर तीर छोड़ा तो तीर गलती से जाकर चिड़िया की गांड में लगा। युधिष्टर: तेरी माँ की चूत, निशान गया चूक। द्रोणाचार्य: भीम अब तुम निशाना लगाओ। भीम ने निशाना लगाया तो भीम का निशाना भी जाकर चिड़िया की गांड में लगा। भीम: तेरी माँ की चूत, निशाना गया चूक। द्रोणाचार्य: अर्जुन बेटा, अब तुम्हारी बारी, निशाना लगाओ। अर्जुन का निशाना भी चिड़िया की गांड में लगता है। अर्जुन:" तेरी माँ की चूत, निशाना गया चूक। द्रोणाचार्य गुस्से में आकर अपने कमण्डल से पानी अपने हाथ पर लेकर मंतर पढ़कर पांडव को श्राप देते हैं, कि आसमान से 1000 तीर आये और उन सब की गांड में जाकर घुस जाये। आसमान से 1000 तीर आते हैं और द्रोणाचार्य की गांड में घुस जाते है। तभी आसमान से आवाज आती है, ओह, तेरी माँ की चूत, निशाना गया चूक। |