एक शराबी ने एक दिन कुछ ज्यादा ही पी ली। लडखड़ाते कदमों से किसी तरह घर के दरवाजे तक पहुंचा और जेब से चाबी निकालकर ताला खोलने की कोशिश करने लगा। नशा ज्यादा होने की वजह से वह चाबी को ताले में डाल ही नहीं पा रहा था। चाबी कभी इधर हो जाती कभी उधर। उसे परेशान होते देख पास ही खड़े एक व्यक्ति ने उसकी मदद करने के इरादे से उसके पास आकर बोला,"लाओ चाबी, ताला मैं खोल देता हूं।" शराबी: नहीं, नहीं, ताला तो मैं खोल लूंगा। तुम तो बस जरा दरवाजे को पकड़कर रखो। |