एक दिन संता अपनी मोटरसाइकिल पर पाकिस्तान से हिंदुस्तान आते समय बॉर्डर पर पकड़ा गया। उसने अपने कंधे पर एक बड़ा सा बैग लटका रखा था। दरोगा बंता ने संता से कड़ककर पूछा,"इस बैग में क्या है?" संता ने नम्रतापूर्वक जवाब दिया,"रेत है साब जी।" परन्तु दरोगा बंता को जवाब से संतोष नहीं हुआ। उसने सिपाहियों को बैग की तलाशी लेने का आदेश दिया। बैग में सचमुच रेत के अलावा कुछ नहीं निकला तो मजबूरन दरोगा को उसे छोड़ना पड़ा। कुछ दिनों बाद फिर इसी तरह संता मोटरसाइकिल पर कंधे पर बैग लटकाए पकड़ा गया । दरोगा बंता ने फिर बैग की तलाशी ली परन्तु उसमें रेत के अलावा कुछ भी ऐसा नहीं निकला जो आपत्तिजनक हो। संता फिर छोड़ दिया गया। फिर तो ऐसा महीने में दो-तीन बार होने लगा। दरोगा बंता का शक भी बढ़ने लगा पर कोई सबूत हाथ न लगने से संता हर बार बचकर निकल जाता था। लगभग सात-आठ महीने तक यही क्रम चलता रहा फिर एकाएक संता का आना बन्द हो गया। कुछ महीने बाद जब बंता छुट्टी पर आया तब उसने संता को दिल्ली के एक मंहगे होटल में कॉफी की चुस्कियां लेते देखा तो वह उसके पास गया। बंता ने बड़े दोस्ताना लहजे में कहा," संता, एक बात बताओ मुझे पूरा यकीन है कि तुम बॉर्डर पर किसी चीज की तस्करी कर रहे थे। पर वह क्या चीज थी जो मेरी नजरें पकड़ नहीं सकीं? कम से कम वह रेत तो बिलकुल नहीं थी। संता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया "मोटरसाइकिल"। |