बूब्स की आत्मकथा!

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    मेरा जनम 12 साल बाद हुआ, रंग लायी मेरे चाहने वालों की दुआ;

    जब मैं बिलकुल चूची थी, तब मैं फ्रॉक मैं सोती थी;

    फिर मेरे आकार का विस्तार हुआ, निम्बू बड़ के अनार हुआ;

    जब मैं बढ़ने लगी, सब की नज़र मुझ पर पड़ने लगी;

    हुआ फिर ब्रा मेरा घर, अब लगने लगा मुझे डर;

    जब मेरा साइज़ हुआ बड़ा, जाने कितनो का फिर हुआ खड़ा;

    भीड़ में लड़कों ने हाथ मारा, मुझे एहसास हुआ बहुत प्यारा;

    फिर न जाने कितनो ने दबाया, सच कहूं तो बड़ा मज़ा आया;

    किसी ने प्यार से सहलाया, किसी को प्यार से चुसवाया;

    किसी ने मुझे मसल दिया, किसी ने मुझ पर अपना रगड़ दिया;

    अब जब मैं गयी झूल, सारे मुझ को गए भूल।
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