जीतो की एक सहेली ज्यादा पड़ी लिखी ना थी उसकी शादी एक अच्छे पढ़े-लिखे साहब से हो गई। जो शहर में काम करता था। शादी के लगभग तीन-चार माह बाद उसके पति का पत्र आया। पत्र काफी साहित्यिक था, अंत: उसने जवाब भी उसी तरह देना चाहा। उसने जीतो से पूछा कि सम्भोधन कैसे करूँ और अंत में क्या लिखूं। जीतो ने उसे बताया कि शुरू में लिखना, 'मेरे प्राण पति और अंत में आप के चरणों की दासी।' यह पूछकर वो चली गई। उसने पत्र लिखा। तीसरे दिन उसके पति का नाराजगी भरा पत्र आया। वो जीतो के पास रोती हुई आई तो जीतो ने उससे पूछा, "ऐसा क्या लिख दिया कि तुम्हारे पति नाराज हो गए। मैंने तो ऐसी कोई बात नहीं लिखाई।" इस पर जीतो की सहेली ने अपने पति का पत्र जीतो की तरफ बढ़ा दिया। पत्र पढ़कर उसका हंसी के मारे बुरा हाल हो गया। उसकी सहेली ने अपने पत्र में लिखा था, 'मेरे चरण पति और अंत में लिखा था आपके प्राणों की प्यासी।' |