अदालत में मुक़दमा चल रहा था कि शराबी पति ने अपनी पत्नी का हाथ तोड़ दिया। जज के सामने जब पति को पेश किया गया तो उसने सुबकते-सुबकते सारी घटना सुना दी। जज ने पति से भविष्य से अच्छा व्यवहार करने के वायदे पर उसे छोड़ दिया। लेकिन दूसरे दिन ही उसे पत्नी का दूसरा हाथ तोड़ने पर जज के सामने लाया गया। इस बार उसने सफाई देते हुए बताया, "हजूर छूटने पर अपने को सम्भालने के लिए मैंने थोड़ी सी शराब पी पर जब इससे भी कोई फर्क नहीं आया तो थोड़ी-थोड़ी करके मैं दो बोतलें पी गया। दो बोतल शराब पीने के बाद जब मैं घर पहुंचा तो मेरी पत्नी मुझ पर चिल्लाने लगी कि शराबी ,आ गया नाली में लेटकर। हजूर मैंने अपनी हालत पर गौर किया और सोचा शायद यह ठीक कहती है। इसलिए मैं खामोश रहा। इसके बाद वह बोली, "हरामखोर, कुछ काम धन्धा भी करा कर।" हजूर मैं इस पर भी मैं कुछ नहीं बोला पर फिर तो इसने हद ही कर दी और बोली, "अगर जज में थोड़ी सी भी अकल होती तो तू अब तक जेल में होता।" बस हजूर, अदालत की तौहीन मुझसे बर्दाश्त ना हुई! |