एक बार एक नौजवान ने एक बुजुर्ग से पूछा, "बाबा बताएं जब यह दुनिया फानीं है तो फिर लोग इसके पीछे क्यों भागते हैं? जब जमीन-जायदाद, यह जेवर यहीं रह जाते हैं तो लोग इनको अपनी जिन्दगी क्यों बनाते हैं? जब रिश्ते निभाने की बारी आती है तो दोस्त ही दुश्मनी क्यों निभाते हैं?" बुजुर्ग ने बड़े गौर से तीनों सवाल सुने फिर उसने माचिस की डब्बी से तीन तीलियाँ निकाली। दो तीलियाँ उसने फेंक दी और एक तीली को आधा तोड़ कर उपर वाला हिस्सा फेंक दिया। नीचे वाले हिस्से को नुकीला बना कर अपना दांत कुरेदते हुए बोला... . . . . . . "मुझे क्या मालूम भोसड़ी के!" |