एक गाँव में एक बूढ़ा-बूढी रहते थे। उनके पास एक बकरा था जो कि गाँव की बकरियां चोदने के काम आता था। एक दिन बूढ़ा घर पर अकेला था। तभी एक लड़का अपनी बकरी लेकर वहाँ आया। लड़का: ताऊ, अपना बकरा तो ले आ, मुझे अपनी बकरी चुदवानी है। बूढ़ा: बेटा, वो बकरा तो अब मेरी तरह बूढ़ा हो चुका है। उसके बस का अब कुछ नहीं है। लड़का: ताऊ, तू बकरे को लेकर तो आ। बूढ़ा अपने बकरे को ले आया। उस लड़के ने पास में पड़ी झाड़ू उठाई और बकरे की गांड में धीरे-धीरे सहलाने लगा। बकरा मस्ती में आ गया। उसका खड़ा हुआ और उसने बकरी को चोद दिया। लड़का: देखा ताऊ हो गया न काम। बूढ़ा: बेटा, क्या तू 15 दिन पहले भी कोई बकरी चुदवाने आया था ? लड़का: हाँ ताऊ, तब आप घर पर नहीं थे, ताई थी यहाँ। बूढ़ा: साले तेरी माँ की चूत, भोसड़ी के, तेरी वजह से 15 दिन से रोज़ रात को तेरी ताई ने मेरी गांड में झाड़ू फिरा-फिरा कर घाव कर दिए हैं। |