शादी के बाद एक बार पठान का एक दोस्त उसके घर उस से मिलने आता है। पठान और उसकी बीवी की खातिरदारी देख कर दोस्त ने रात को वहीं रुकने का फैसला किया तो पठान ने उसका पलंग बाहर बरामदे में लगा दिया। यह देख दोस्त को बहुत बुरा लगा और उसने पठान से कहा, "तू खुद अन्दर आराम से सोयेगा और मुझे यहाँ बाहर सुला रहा है, लगता है दोस्ती में दरार आ गई है।" पठान: ओ यार, समझा कर, अब मेरी शादी हो गई है। पर दोस्त पठान की बात से संतुष्ट नहीं हुआ तो हार कर पठान ने उसका अपने कमरे में रखे सोफे पर सोने का बंदोबस्त कर दिया। आधी रात के करीब दोस्त उठा और पठान से बोला, "यार मुझे यहाँ सोफे पर भी नींद नहीं आ रही। मैं भी पलंग पर ही सोऊँगा।" पठान: यह कैसे हो सकता है? पलंग पर तो मैं अपनी पत्नी के साथ सो रहा हूँ। पर दोस्त फिर भी नहीं मानता और पठान से कहता है, "दोस्त तू बदल गया है, लगता है दोस्ती में दरार आ गई है।" दोस्त की यह बात सुन कर पठान को थोड़ा बुरा लगता है परंतु वह फिर भी उसे अपने साथ अपने पलंग पर अपनी दाईं ओर सुला लेता है और खुद उसके और अपनी पत्नी के बीच में सो जाता है। कुछ देर बाद दोस्त फिर उठता है और पठान से कहता है, "मुझे पलंग के किनारे पर नींद नहीं आ रही क्योंकि मुझे डर लग रहा है कि कहीं मैं गिर ना जाऊँ इसीलिए मैं तो बीच में सोऊँगा।" पठान: ऐसे कैसे हो सकता है दूसरी तरफ मेरी बीवी सो रही है, तू बीच में कैसे सो सकता है? दोस्त: मैं ना कहता था तू बदल गया है तुझे अब मुझ पर भरोसा ही नहीं रहा, देखा आ गई ना दोस्ती में दरार। पठान फिर उसकी बात मान लेता है और उसे अपने और अपनी पत्नी के बीच में सुला लेता है। अगले दिन सुबह जब दोस्त सो के उठा तो पठान से बोला, "यार तेरी बीवी तो बड़ी चालू है सारी रात मेरा लंड पकड़ कर सोती रही।" पठान: साले, वो मेरी बीवी नहीं, मैं था। मैं तेरा लंड पकड़ कर सो रहा था। दोस्त: ऐसा क्यों? पठान: क्योंकि अगर मैं ऐसा नहीं करता तो सच में दोस्ती में दरार आ जाती। |