आजकल हमारी रोज़ाना ज़िंदगी में गालियों का प्रयोग इस कदर बढ़ गया है कि अब हिंदी के वाक्य ही बदल गए हैं। पेश हैं कुछ उदाहरण: 1. पहले: इस काम को मत करो, रिस्क है। आजकल: अबे बोला न रहने दे, गांड फट जाएगी। 2. पहले: अरे यार डर लगता है, कही फेल न हो जाऊं। आजकल: यार गांड फटी पड़ी है, रिजल्ट की माँ न चुद जाये। 3. पहले: ये तो होना ही था, किस्मत ही ख़राब है। आजकल: चुद गयी। जब किस्मत में हों लौड़े, तो कैसे मिले पकौड़े? 4. पहले: भाई गाड़ी धीरे चला, रोड ख़राब है। आजकल: अबे सड़क की माँ चुदी पड़ी है, तू गाड़ी की क्यों चोद रहा है? 5. पहले: भाई मैंने बोला था न कि ये काम मत करो, रिस्क है। आजकल: बस मरवा ली, मैंने तो पहले ही कहा था कि उड़ता तीर गांड में मत ले। 6. पहले: मुझे मत समझा, मुझे सब पता है। आजकल: गांडू, बाप को चोदना मत सिखा। 7. पहले: क्या बात है भाई, उदास क्यों हो? आजकल: क्या है बे, गांड सा मुँह क्यों बना रखा है? 8. पहले: बार बार परेशान मत कर। आजकल: बार बार गांड में ऊँगली करना जरूरी है? 9. पहले: दोनों जिगरी दोस्त हैं। आजकल: अबे दोनों एक गांड से हगते हैं। 10. पहले: बेटा कितना भी बड़ा हो जाये, रहेगा बाप से छोटा ही। आजकल: आंड कितने भी बड़े हों, रहेंगे तो लण्ड के नीचे ही। 11. पहले: क्या बात है, बॉस के आगे पीछे बहुत घूम रहा है? आजकल: क्या बात है बे, बॉस के बहुत आंड उठा रहा है? 12. पहले: किसी काम को करने के लिए, खुद में सामर्थ्य होना जरूरी है। आजकल: गांड मरवाने का शौक हो तो तेल चटाई साथ रखनी चाहिए। 13. पहले: मूर्ख की दोस्ती अच्छी नहीं होती। आजकल: गांडू की दोस्ती, जी का जंजाल। 14. पहले: लड़की तो मस्त है, पर तुझसे नहीं पटेगी। आजकल: अबे रहने दे, तेरे जैसों की तो चूचों से गांड मार देती है वो। 15. पहले: तू मेरा बाल भी बांका नहीं कर पायेगा। आजकल: तेरी गांड में जितना जोर है ना लगा ले, तू मेरी झांट का बाल भी नहीं उखाड़ सकता। |