शराब का सुरूर

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    एक बार पठान बार में गया। वहां जाकर उसने बार में मौजूद सभी लोगों, जिनमें बार मालिक भी शामिल था, के लिए अपनी तरफ से एक-एक पैग व्हिस्की का ऑर्डर दिया।

    "आज सभी लोग मेरी तरफ से पियो।" पठान ने झूमते हुए घोषणा की।

    आधे घण्टे बाद पठान ने फिर से सभी लोगों के लिए एक-एक पैग व्हिस्की का ऑर्डर दिया। बार मालिक को भी एक पैग और मिला।

    फिर तो हर आधे घण्टे बाद यही क्रम चलने लगा। पांचवें पैग के बाद बार मालिक को चिंता होने लगी। उसने पठान को एक तरफ बुलाकर कहा, "भाईसाहब, आपका अभी तक का बिल तीन हजार पांच सौ रुपये हो गया है।"

    "बिल, कैसा बिल? मेरे पास तो फूटी कौड़ी भी नहीं है।" पठान ने जेबें उल्टी करके दिखाते हुए कहा।

    अब तो बार मालिक का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। उसने लात घूंसों से पठान की जमकर पिटाई की और आखिर में बार के कर्मचारियों से कहकर पठान को बाहर फिंकवा दिया।

    अगले दिन शाम को बार अभी खुला ही था कि पठान अंदर आया और बोला, "एक पैग व्हिस्की मेरे लिए और एक-एक यहां मौजूद सभी लोगों के लिए मेरी तरफ से।"

    फिर बार मालिक की तरफ उंगली करके बोला, "सिर्फ तुमको छोड़कर। तुम चार पैग के बाद बहक जाते हो।"
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