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    नियमित रूप से वैश्या गमन करने वाले एक व्यक्ति की आखिरकार शादी हो ही गई। शादी के अगले ही दिन वह रोता हुआ अपने दोस्त के घर पहुंचा।

    "क्या बात है? रो क्यों रहे हो?" दोस्त ने पूछा।

    "यार, तुम तो जानते हो मैं कैसा आदमी था। आज सुबह जब मैं जागा तो अपनी आदत के मुताबिक मैंने अपनी पत्नी को एक सौ रुपये का नोट थमा दिया।" आदमी ने जवाब दिया।

    "अच्छा! तो यह बात है। देखो, आखिर वह तुम्हारी पत्नी है। उसे समझाओ कि वह तुम्हारे बीते दिनों को भूल जाए और साथ ही उसे विश्वास दिलाओ कि भविष्य में तुम उसके सिवा किसी और की तरफ देखोगे भी नहीं। देखना, वह मान जाएगी।" दोस्त ने दिलासा देते हुए कहा।

    आदमी ने गुस्से से लाल होते हुए कहा, "यार, बात वह नहीं है। उसने सौ का नोट रखकर मुझे पचास रुपये वापस कर दिए।"
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