हाथ जोड़ कर कीजिये,पत्नी जी का ध्यान। घर में खुशहाली रहे ,हो जाये कल्यान।। घरवाली को नमन कर, माला लेकर हाथ। मुख से पत्नी-वन्दना बोलो मेरे साथ।। जय पत्नी देवी कल्यानी। माया तेरी ना पहचानी।। तुमसे सारे देवता हारे। डर से थर-थर कांपें सारे।। नहीं चरित्र तुम्हरा कोई जाना। नर क्या ईश्वर ना पहचाना।। अपरम्पार तुम्हारी माया। कोई इसका पार न पाया।। लगो देखने में तुम गुड़िया। हो लेकिन आफत की पुड़िया।। हे मेरे बच्चों की माता। तुम हो मेरी भाग्यविधाता।। है बेलन हथियार तुम्हारा। जब चाहा सिर पर दे मारा।। ऐसी तेरी निकले बोली। जैसे हो बंदूक की गोली।। हम तुमसे डरते हैं ऐसे। चोर पुलिस से डरता जैसे।। ऐसा है आतंक तुम्हारा। बिच्छू जैसा डंक तुम्हारा।। करे पती जो पत्नी-सेवा। मिलती उसको सच्ची मेवा।। पत्नी-वन्दना जो कोई गावे। जीवन में कोई कष्ट न पावे।। प्रभु दीक्षित कर पत्नी-वन्दन। पत्नी का कर लो अभिनन्दन।। वन्दहु पत्नी मुख-कमल,गुणअवगुण की खान। मिले नहीं बिन आपके पतियों को सम्मान।। ।।बोलो पत्नी रानी की जय।। |