एक गाँव में एक चौधरी के बेटे छेदामल की बड़ी मुश्किल से 40 वर्ष की आयु में 20 वर्ष की लड़की से शादी हो गयी।
शादी के बाद छेदामल जी दुल्हन को घर ले आये किन्तु दुल्हन छेदामल के बारे में कुछ भी नहीं जानती थी यहाँ तक की नाम भी नहीं और अगले दिन दुल्हन घूंघट लटकाए शरमाई हुई बैठी थी और मुंह दिखाई की रस्म शुरू हुई। एक बुजुर्ग औरत आई, घूंघट उठाया और बोली, "बहु तो ठेर सोहनी है पर छेदा बड़ा हैं।" दुल्हन चौंकी, सकुचायी पर चुप रही। दूसरी औरत आई, घूंघट उठाया और बोली, "बहु तो सोहनी है पर छेदा बड़ा हैं।" दुल्हन फिर चौंकी, सकुचायी पर चुप रही। तीसरी औरत आई, घूंघट उठाया और बोली, "बहु तो चोखी है पर छेदा बड़ा हैं।" दुल्हन गुस्सायी और "हूं हूं हूं"। चौथी औरत आई, घूंघट उठाया और बोली, "बहु तो चाँद का टुकड़ा है पर छेदा बड़ा हैं।" दुल्हन गुस्सायी और "हूं हूं हूं हूं हूं हूं।" पांचवीं औरत आई, घूंघट उठाया और बोली, "बहु तो बढ़िया है पर छेदा बड़ा हैं।" दुल्हन ने घूंघट उतार कर पीछे फेंका और जोर से गुर्रायी, "छेदा बड़ा है, छेदा बड़ा है, छेदा बड़ा है।" दुल्हन ने अपना लहंगा सिर तक ऊपर उठाया और बोली, "गौर से देख लो अभी तो सील भी नहीं टूटी।" |