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    बिहार के कई गाँव में फिल्मों का प्रचार आज भी रिक्शा पर लाउड-स्पीकर लगा कर किया जाता है।
    एक दिन ऐसी ही एक फिल्म का प्रचार हो रहा था। फिल्म का नाम था "बड़े घर की बहु रानी"।

    "बड़े घर की बहु रानी" का मज़ा लीजिये,
    दिन में चार बार, 9 से 12, 12 से 3, 3 से 6 और शाम 6 से 9।
  • इब के करे माशटरनी बेचारी? हरियाणा मं तीन गाँम सै "करवाण", "मरवाण" अर बीच म "कुंवारी"।
    मरवाण गांम के स्कूल मं हिन्दी का एक भी टिचर नां अर कुंवारी के स्कूल मं दो हिन्दी की मैडम।
    एक दिन मरवाण गांम की पंचायत...
  • नामों का राज़! गुप्ता जी के घर शर्मा जी आये। गुप्ता जी अपने बच्चों की पहचान कराने लगे।
    ये मेरी बेटी रानी।शादी से पहले हम मुंबई में `रानी बाग़` में घूमा करते थे, उसकी याद में इसका नाम रानी रखा।
    शर्मा जी: वाह, प्यारी बिटिया...
  • संभावना और वास्तविक्ता! पप्पू ने संता से पूछा, "पापा, संभावना और वास्तविक्ता में क्या फर्क है?"
    संता ने थोड़ी देर सोचकर कहा, "जा अपनी माँ से जाकर पूछ कि...
  • फाडू अनमोल वचन! 1. गांड मराये बेगम दंड भरे गुलाम - मतलब किसी के गुनाह की सजा किसी दूसरे को देना यानि चोरो का दंड फकीरों को।
    2. झांट उखाड़ने से मुर्दे हलके नहीं होते...
  • सास का बुढ़ापा! एक छोटा बच्चा गाँव में एक लड़की की चूत मार कर घर आया तो उसने अपनी माँ को सब कुछ सच सच बता दिया।
    उस की माँ ने बच्चे से कहा, "बेटा आगे से...
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