एक दिन दफ्तर से घर आते हुए पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट हो गयी; और जो बीवी से मिलने की जल्दी थी वह ज़रा से लेट हो गयी; जाते ही बीवी ने आँखे दिखाई -आदतानुसार हम पर चिल्लाई; तुम क्या समझते हो मुझे नहीं है किसी बात का इल्म; जरुर देख रहे होगे तुम सक्रेटरी के साथ कोई फिल्म; मैंने कहा - अरी पगली, घर आते हे ऐसे झिडकियां मत दिया कर; कभी तो छोड़ दे, मुझ बेचारे पर इस तरह शक मत किया कर; पत्नी फिर तेज होकर बोली - मुझे बेवकूफ बना रहे हो; 6 बजे दफ्तर बंद होता है और तुम 10 बजे आ रहे हो; मैंने कहा अब छोड़ यह धुन - मेरी बात ज़रा ध्यान से सुन; एक आदमी का एक हज़ार का नोट खो गया था; और वह उसे ढूंढने के जिद्द पर अड़ा था; पत्नी बोली, तो तुम उसकी मदद कर रहे थे; मैंने कहा , नहीं रे पगली मै ही तो उस पर खड़ा था; सुनते ही पत्नी हो गयी लोट-पोट; और बोली कहाँ है वह हज़ार का नोट; मैंने कहा बाकी तो खर्च हो गया यह लो सौ रुपये; वह बोली क्या सब खा गए बाकी के 900 कहाँ गए; मैंने कहा : असल में जब उस नोट के ऊपर मै खडा था; तो एक लडकी की निगाह में उसी वक़्त मेरा पैर पडा था; कही वह कुछ बक ना दे इसलिए वह लडकी मनानी पडी; उसे उसी के पसंद के पिक्चर हाल में फिल्म दिखानी पडी; फिर उसे एक बढ़िया से रेस्टोरेन्ट में खाना खिलाना पड़ा; और फिर उसे अपनी बाइक से घर भी छोड़कर आना पड़ा; तब कहीं जाकर तुम्हारे लिए सौ रुपये बचा पाया हूँ; यूँ समझो जानू तुम्हारे लिए पानी पुरी का इंतजाम कर लाया हूँ; अब तो बीवी रजामंद थी - क्यूंकि पानी पुरी उसे बेहद पसंद थी; तुरंत मुस्कुराकर बोली : मै भी कितनी पागल हूँ इतनी देर से ऐसे ही बक बक किये जा रही थी; सच में आप मेरा कितना ख़याल रखते है और मै हूँ कि आप पर शक किये जा रही थी! |