मई का पावन महीना शुरू होने हो गया है। पत्नी को सामने बिठाकर उसके मायके की तारीफ करें, उसके मायके की ढेर सारी बातें करें, जानता हूँ ये बहुत कठिन और असहनीय पीड़ादायक काम है पर कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है तो दाँत भींचकर पीड़ा सहन करते हुए पत्नी को मायके की जबरन याद दिलाएं। इतना कि वो मायके जाने के लिए तड़प उठे। तब फिर एक दिन वह सुख भरा दिन आएगा जब पत्नियाँ मायके जाएँगी। अपनी अपार ख़ुशी को छुपाते हुए उदास मन से प्यार के दिखावे के साथ पत्नी को ट्रेन में बैठा कर स्टेशन पर तब तक खड़े रहें जब तक कि ट्रेन (पत्नी) आँखों से ओझल न हो जाये। फिर नाचते कूदते हुए दोस्तों को आमंत्रित करते हुए घर आएं और चिल्ला चिल्ला कर गायें, "दुःख भरे दिन बीते रे भैया अब सुख आयो रे"। |