नए-नए रईस हुए एक साहब को लोगों के ऊपर अपनी अमीरी का रौब झाड़ने का शौक चढ़ गया। इसी के चलते एक रोज उनके घर मेहमान आने वाले थे तो उन्होंने अपने नौकर को बुलाया और समझाने लगे, "मेहमानों के सामने मैं किसी भी चीज़ को तलब करूँ तो उसकी 2-3 किस्मों के नाम लेना ताकि उन पर रौब पड़ सके, समझ गए।" नौकर: जी हुज़ूर बिल्कुल समझ गया। अगले रोज मेहमान आ गए। साहब ने नौकर से कहा, "ठाकुर साहब के लिए शरबत लाओ।" नौकर: हुज़ूर, कौन सा शरबत लेंगे, खस का, केवड़े का या बादाम का? नौकर की समझदारी पर साहब मन ही मन खुश होते हुए बोले, "केवड़े का ले आओ।" फिर थोड़ी देर बाद- साहब: ठाकुर साहब के लिए खाना लगवाओ। नौकर: हुज़ूर, कौन सा खाना खायेंगे इंडियन, कांटिनेंटल या चाइनीज? खाने के बाद- साहब: पान ले आओ। नौकर: कौन सा पान हुज़ूर लखनवी, मुरादाबादी या बनारसी? फिर थोड़ी देर बाद शहर घूमने का प्रोग्राम बन गया। साहब: हमारी गाड़ी निकलवाओ। नौकर: कौन सी गाड़ी हुज़ूर, सफारी, ऑडी, मर्सिडीज़, या बेंटली? साहब: ऑडी निकलवाओ और सुनो हमारे पिताजी से कह देना कि हम ज़रा देर से आयेंगे। नौकर: कौन से पिताजी से कहूँ हुज़ूर आगरा वाले, दिल्ली वाले या चंडीगढ़ वाले? |