भारत एक अत्यंत राय बांटू प्रवत्ति का देश है। यहाँ प्राय: चार किस्म के 'रायचंद' पाए जाते हैं। 1. लघु ज्ञानचंद - अकर्मण्य एवं निक्कमे लोग देश चलाने पर ज्ञान की गंगा बहाते नजर आते हैं। हालांकि वे स्वयं के काम में निम्न कोटि की उत्पादकता प्रेषित करते हैं। इन्हें बस बहस का मुद्दा दीजिए और कमाल देखिए। 2. मध्यम ज्ञानचंद- वह लोग जो पचास हजार रुपए महीना तक कमाते हैं। प्राय: दाल, टमाटर, प्याज के भाव पर चिंतन के बहाने ज्ञान बांटा करते हैं। ऐसे लोग ज्यादातर मॉल में Window Shopping करते एवं McDonald पर बर्गर खाते पाए जाते हैं। महंगाई को ताख में रख कर Multiplex में 180 के टिकट पर फिल्म देखना पसंद करते हैं। जहाँ कहीं भी सेल लगी हो वहाँ इनका जमघट देखा जा सकता है। 3. उत्तम ज्ञानचंद - ऐसे लोग जो लाखों में खेलते हैं, प्राय: किसानों की मृत्युदर, भ्रष्टाचार, उद्योग जगत और अर्थव्यवस्था पर ज्ञान पेलते पाए जाते हैं। तुलनात्मक विश्लेषण में पारंगत ऐसे लोग पानी सिर्फ Bisleri का पीते हैं, कपड़े ब्रांडेड पहनते हैं और जनसंख्या एवं गंदगी पर सरकार से क्षुब्ध नजर आना इनका विशेष शौक है। गाड़ी का शीशा नीचे करके टिशु पेपर/ सोडा बॉटल फेंकने में विशेष महारत हासिल यह लोग स्वच्छ भारत अभियान को कोसना नहीं भूलते। 4. अत्यंत ज्ञानचंद - वह लोग जो करोड़ों अरबों में खेलते हैं प्राय: सहिष्णुता-असहिष्णुता, सांप्रदायिकता एवं धर्म-निरपेक्षता जैसे भारी भरकम शब्दों पर मीडिया के सामने ज्ञान वितरण का मौका ढूंढते हैं और अवसर प्राप्त होते ही विशेष ज्ञान का उत्सर्जन कर समस्त छोटे ज्ञानचंदों को भौंचक्का कर देते हैं। ऐसे लोगों की एक टाँग हमेशा विदेश में रहती है और स्विस बैंक से विशेष प्रेम। नैतिकता का उपदेश देना इनका फेवरेट पास टाइम है और देश को अपमानित करना इनकी महानता का मापदंड। पेज थ्री की पार्टियां अटेंड करना और ट्वीट करना इनका विशेष शौक है। अनैतिकता का कचरा इनके कारपेट के नीचे हमेशा दबा मिलता है। |