इस बार संसद का सत्र शुरू होते ही नेताओं के धमाकेदार भाषणों के चलते लोकसभा चैनल की टीआरपी में दिनोंदिन वृद्धि देखने को मिल रही है, जिससे एक ओर लोकसभा टीवी के दफ्तर में ख़ुशी का माहौल है तो वहीं दूसरी ओर निजी टीवी चैनल मालिकों के बीच मायूसी की लहर व्याप्त होती जा रही है। एक निजी चैनल मालिक ने निराशा भरे स्वर में बताया कि नेता अच्छे अभिनेता होते हैं ये बात तो मैं जानता था, मगर इतने अच्छे होते हैं ये पहली बार देखने को मिल रहा है। अगर हमारे सांसद इसी तरह परफॉर्म करते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब मुझे वापस अपना घर-घर जाकर दूध बेचने का धंधा फिर से शुरू करना पड़ेगा। पता चला है कि लोकसभा टीवी की लोकप्रियता में वृद्धि स्मृति ईरानी के जोरदार भाषण वाले दिन से शुरू हुई और राहुल गाँधी का भाषण होते समय तो इसने टीआरपी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसके बाद जब मोदी जी का नंबर आया और उन्होंने अपना "ये मैंने नहीं कहा ..." वाला भाषण शुरू किया तो दो निजी चैनल मालिक डिप्रेशन में चले गए और उन्हें हस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। बहरहाल, चैनल मालिकों का एक प्रतिनिधि मंडल शीघ्र ही सरकार से मिलकर लोकसभा कार्यवाही के सीधे प्रसारण पर रोक लगाने की मांग करने वाला है। प्रतिनिधि मंडल के एक सदस्य ने बताया कि वैसे तो हम लोकसभा टीवी को ही बंद करने की मांग कर रहे हैं लेकिन फिलहाल यदि ये संभव नहीं हो पाया तो कम से कम राहुल गाँधी के भाषणों को तो बैन करवा के ही मानेंगे। क्योंकि जब भी उनका भाषण होता है तब हमारे चैनलों से दर्शक ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे गधे के सिर से सींग ! सदस्य ने कहा कि सरकार हमारे साथ ठीक नहीं कर रही है। राहुल गाँधी तो खैर विपक्ष के नेता हैं, पर मोदी जी को इतना अच्छा भाषण देने की क्या जरूरत थी ? और स्मृति ईरानी तो खुद टीवी एक्ट्रेस रह चुकी हैं उन्हें तो हमारा ख्याल करना चाहिए था ! उधर सास-बहू के बोरिंग सीरियल देख-देख कर उकताए दर्शकों ने भी कमर कस ली है और वे संसद का सत्र पूरे साल नॉन-स्टॉप चलाये जाने की मांग करने वाले हैं। "नेता हमारे और किसी काम तो आते नहीं हैं, कम से कम मनोरंजन ही करें", एक दर्शक का कहना था। Disclaimer: उपरोक्त खबर पूरी तरह से काल्पनिक है और सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से लिखी गई है।) |