रविवार को बीयर पंचमी है। जब सूर्य वृषभ राशि में रहता है आैर गर्मी अपनी पूर्ण यौवन पर होती है ताे हर साल यह पर्व बड़े हीं उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे कहीं-कहीं "बीयर तीज" भी कहा जाता है। इसका शुभ मुहूर्त संध्या 6 बजे से रात 12 बजे तक है। इस दिन घर पर या दोस्तों की महफ़िल में बीयर पीने-पिलाने से साल भर बीवी से किच-किच नहीं होती है। जो जातक बीयर नहीं पीते फिर भी पत्नी की रोज की किच-किच से परेशान रहते हैं, उन्हें शुभ मुहूर्त में 9 बीयर चढ़ाकर दोस्तों को पिला कर मात्र चखना से पूर्ण पुण्य मिलता है। नोट: बीयर पिलाने में जात धर्म का कोई बंधन नही रहता। बीयर पंचमी मनाने की विधि: 1. संध्या काल स्नान आदि के बाद हलके वस्त्रो में A.C. चला कर बैठें। 2. समयानुसार पृष्ठभूमि में "मुन्नी बदनाम हुई" जैसे भजन की सीडी लगा लें। 3. बीयर को फ्रिज से निकाल कर टेबल पर सजा लें। 4. प्रसाद के लिए कुछ नमकीन, फ्राई काजू, दालमोठ इत्यादि का प्रबंध करें। 5. पूर्वी और दक्षिण भारत में फ्राई की हुई मछली से भी प्रसाद चढ़ाया जाता है। कुछ न होने पर भूँजा अथवा सादा पापड़ भून कर प्रसाद चढ़ायें। 6. बीयर को गिलास में डालें पर ध्यान रहे कि बीयर का झाग टेबल पर न गिरे। टेबल पत्नी को साफ़ करनी है, और आज के दिन पत्नी की अप्रसन्नता पूर्णत: वर्जित है। 7. श्रद्धानुसार आैर क्षमतानुसार एक, दो, तीन, चार, पाँच... बीयर के गिलास पीते जाएँ। तब तक पीयें, जब तक पत्नी का चेहरा लाल न हो जाये। |