वो एक्सप्रेस ट्रेन करीब करीब खाली ही थी। वकील साहब जिस ऐसी 3 कोच में बैठे थे उसमें भी बहुत कम यात्री थे और उनके वाले पोर्शन में उनके अलावा दूसरा कोई पैसेंजर नहीं था। तभी एक महिला कोच में उनके वाले पोर्शन में आई और वकील साहब से बोली, "मिस्टर, तुम्हारे पास जो भी मालपानी रुपया, पैसा, सोना, घड़ी, मोबाइल है सब मुझे सौंप दो नहीं तो मैं चिल्लाऊँगी कि, तुमने मेरे साथ छेड़ छाड़ की है।" वकील साहब ने शांति से अपने ब्रीफकेस से एक कागज निकाला और उस पर लिखा, "मैं मूक बधिर हूँ, ना बोल सकता हूँ और ना ही सुन सकता हूँ। तुम्हें जो कुछ कहना है, इस कागज पर लिख दो।" महिला ने जो भी कहा था वो उसी कागज पर लिख कर दे दिया। वकील साहब ने उस कागज को मोड़कर हिफाजत से अपनी जेब में रखा और बोले, "हाँ, अब चिल्लाओ कि, मैंने तुम्हारे साथ छेड़ छाड़ की है। अब मेरे पास तुम्हारा लिखित बयान है।" यह सुनते ही महिला वहाँ से यूँ भागी जैसे उसने भूत देख लिया हो। |