एक दिन पंजाब पुलिस का एक ट्रैफिक इंस्पेक्टर हाईवे पर अकेले ही अपनी मोटरसाइकल पर बैठा था। तभी दूसरी स्टेट से आती हुयी एक कार ने बॉर्डर क्रॉस किया। इंस्पेक्टर ने रुकने का इशारा किया और जब कार रुकी तो वो टहलता हुआ ड्राइवर की खिड़की के पास गया। एक नवयुवक जो गाड़ी चला रहा था उसने शीशा नीचा कर सिर बाहर निकाल कर पूछा, "क्या बात है इंस्पेक्टर?" इंस्पेक्टर ने एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर दिया। युवक: अरे, मारा क्यों इंस्पेक्टर साहब? इंस्पेक्टर: जब पंजाब पुलिस का ट्रैफिक इंस्पेक्टर किसी गाड़ी को रुकने कहता को है तो ड्राइवर को गाड़ी के कागजात अपने हाथ में रखे हुए होने चाहिए। युवक: माफ़ कीजिये इंस्पेक्टर साहब मैं पहली बार पंजाब आया हूँ। फिर युवक ने गाडी के कागज़ निकाल कर इंस्पेक्टर को दिखाये। इंस्पेक्टर ने कागज़ों का मुआयना किया बोला, "ठीक है रख लो।" फिर घूमकर कार की दूसरी तरफ गया और शीशा ठकठकाया। पैसेन्जर सीट पर बैठे दुसरे युवक ने शीशा गिराकर सिर बाहर निकाल कर पूछा, "हाँ बोलिए?" और इतने में इंस्पेक्टर ने उसे भी एक थप्पड़ रसीद कर दिया। युवक: अरे! मैंने क्या किया? इंस्पेक्टर: ये तुम्हारी अकड़ उतारने के लिए। युवक: पर मैंने तो कोई अकड़ नहीं दिखाई। इंस्पेक्टर: अभी नहीं दिखाई, पर मैं जानता हूँ एक किलोमीटर आगे जाने के बाद तुम अपने दोस्त से कहते, "वो दो कौड़ी के इंस्पेक्टर ने मुझे मारा होता तो बताता।" |