एक बार की बात है कि गुप्ता जी, एक मारवाड़ी (बनिये) के यहाँ शादी में गए। शादी का पंडाल बड़ा भव्य था और उसमें अंदर जाने के लिए 2 दरवाजे थे। एक दरवाजे पर रिश्तेदार, दूसरे पर दोस्त लिखा था। गुप्ता जी, बड़े फख्र से दोस्त वाले दरवाजे से अंदर गए। आगे फिर 2 दरवाजे थे, एक पर महिला, दूसरे पर पुरुष लिखा था। गुप्ता जी पुरुष वाले दरवाजे से अंदर गए। वहाँ भी 2 दरवाजे और थे, एक पर गिफ्ट देने वाला, दूसरे पर बिना गिफ्ट वाले लिखा था। गुप्ता जी को हर बार अपनी मर्जी के दरवाजे से अंदर जाने में बड़ा मजा आ रहा था। उसने ऐसा इंतजाम पहली बार देखा था। गुप्ता जी बिना-गिफ्ट वाले दरवाजे से अंदर चले गए। जब अंदर जाकर देखा तो गुप्ता जी बाहर गली में खड़े थे और वहॉं लिखा था... शर्म तो आ नहीं रही होगी, मारवाड़ी की शादी और मुफ्त में रोटी खायेगा? जा-जा बाहर जा और हवा खा। |