एक बार छगन अपनी बीवी के साथ ट्रेन में यात्रा कर रहा था। छगन की बीवी को सर्दी लगने लगी तो उसने खिड़की बंद करने को कहा। छगन उठकर खिड़की बंद करने की कोशिश करने लगा पर उससे नहीं हुआ। तभी सामने की सीट पर बैठा एक बुड्ढा उठा और एक झटके में खिड़की बंद करके छगन से बोला - `बेटा, कुछ खाया-पीया कर !` छगन झेंपकर रह गया। थोड़ी देर बाद उसकी बीवी फिर बोली - `गर्मी लग रही है ... खिड़की खोल दो न प्लीज !` छगन उठकर खिड़की खोलने लगा मगर उससे नहीं खुली। बुड्ढा फिर उठा और एक झटके में खिड़की खोलकर बोला - `बेटा, कुछ खाया-पिया कर !` अब तो छगन को बहुत शर्म महसूस हुई। बुड्ढे ने दो बार बेइज्जती कर दी थी। वो बदला लेने की सोचने लगा। कुछ देर बाद वो उठा और ट्रेन रोकने वाली चैन को पकड़ कर ऐसे हाव-भाव करने लगा जैसे वो चैन को खींचना चाहता हो... यह देखकर बुड्ढा फिर उठा और छगन को एक ओर हटाकर एक झटके में जंजीर खींचकर बोला - `बेटा, कुछ खाया-पिया कर !` छगन कुछ नहीं बोला बस मुस्कुराकर रह गया। जंजीर खींचने से ट्रेन रुक गई और रेलवे पुलिस जंजीर खींचने वाले को तलाशते हुए उसी डब्बे में आ गई और बिना कारण जंजीर खींचने के जुर्म में बुड्ढे को पकड़ लिया। जब पुलिस बुड्ढे को ले जाने लगी तो उसने गुस्से से छगन की ओर देखा ... छगन मुस्कुराते हुए बोला - `ताऊ, थोडा कम खाया-पिया कर !!!` |