कुछ औरतें आपस में पति-पत्नी के रिश्ते पर बात कर रही थी। थोड़ी देर सुन कर उनमे से एक औरत बोली, "अरे बहन, पता नहीं कुछ औरतें अपनी पति की बुराई कैसे कर लेती हैं? अब मेरे वाले को देख लो, अकल के नाम का एक पैसा उसके पास नहीं, शकल राम ने दी नहीं, रंग ऐसा जैसे पैदा होते ही भट्टी में डाल कर किसी ने भून दिया हो और कजूंस तो इतना के कच्छे भी सैकेंड हैंड खरीद के पहनता है। खराटे इतने मारता है कि दिल करता है, सोते ही नाक में मिट्टी का तेल डाल कर आग लगा दूँ। . . . . . . . . . . . . पर बहन मजाल है जो आज तक मैंने उसकी बुराई की हो। जैसा भी है मेरा तो देवता है, मैं तो कभी नहीं करती उसकी बुराई।" |