एक बालक जिद पर अड़ गया... बोला कि छिपकली खाऊंगा। घरवालों ने बहुत समझाया पर नहीं माना। हार कर उसके गुरु जी को बुलाया गया। वे जिद तुड़वाने में महारथी थे। गुरु के आदेश पर एक छिपकली पकड़वाई गई. उसे प्लेट में परोस बालक के सामने रख गुरु बोले, ले खा... बालक मचल गया। बोला, तली हुई खाऊंगा। गुरु ने छिपकली तलवाई और दहाड़े, ले अब चुपचाप खा. बालक फिर गुलाटी मार गया और बोला, आधी खाऊंगा। छिपकली के दो टुकड़े किये गये। बालक गुरु से बोला, "पहले आप खाओ"। गुरु ने आंख नाक और भी ना जाने क्या क्या भींच किसी तरह आधी छिपकली निगली गुरु के छिपकली निगलते ही बालक दहाड़ मार कर रोने लगा और बोला," आप तो वो टुकड़ा खा गये जो मैंने खाना था। गुरु ने धोती सम्भाली और वहां से भाग निकले कि अब जरा भी यहां रुका तो ये दुष्ट दूसरा टुकड़ा भी खिला कर मानेगा। यह देख मुझे अरविन्द केजरीवाल की याद आ गयी। करना-धरना कुछ नहीं,नौटंकी दुनिया भर की। |