कल रात TV शुरू किया और न्यूज़ चैनल लगाया तो देखा कि समलैंगिकता और अनुच्छेद 377 को निरस्त करने पर बहस चल रहीं थी । कुछ लोग धर्म का हवाला देकर समलैंगिकता का विरोध कर रहें थे तो कुछ समलैंगिकता के अप्राकृतिक होने की वजह से विरोध कर रहें थे । ऐसा नहीं कि हर कोई समलैंगिकता का विरोध कर रहा था, कुछ बुद्धिजीवी टाइप के लोग समर्थन में भी थे। वे लोग freedom of choice, equality और fundamental rights का झंडा बुलंद कर रहें थे । सच कहूं तो कल मेरी आँखें खुल गई और मुझे ज्ञात हुआ कि, "भारत में गांड मराना भी अब मौलिक अधिकारों में शामिल हैं ।" |