एक छात्र ने संस्कृत के शिक्षक से पूछा: गुरुजी, एरिक तम नपाम्रधू। एरिक तम नपाद्यम।। इस श्लोक का अर्थ क्या होता है। गुरूजी ने यह श्लोक सभी संस्कृत की पुस्तकों एवं ग्रंथों में खूब ढूंढा, सभी संस्कृत के ज्ञाताओं से भी इस श्लोक का अर्थ पूछा, खूब मेहनत की, रात दिन एक कर दिए लेकिन कहीं भी इसका अर्थ उन्हें नहीं मिला लेकिन छात्र उनसे बार बार यही प्रश्न पूछता अब तो गुरुजी छात्र को देखकर अपना रास्ता ही बदल देते थे। आखिर हारकर गुरुजी ने छात्र से पूछा कि बताओ यह श्लोक तुमने कहां पढ़ा तब छात्र ने कहा कि उसने यह श्लोक प्रिंसिपल के केबिन के बाहर पढ़ा। गुरुजी उसे तत्काल प्रिंसिपल के कैबिन की ओर ले गए वहां छात्र ने उन्हें वह श्लोक कांच के गेट पर लिखा हुआ दिखाया... गुरुजी ने छात्र को चप्पल टूटने तक मारा क्योंकि वह कांच की उल्टी साइड से पढ़ रहा था सीधी साइड पर लिखा था: धूम्रपान मत करिए। मद्यपान मत करिए।। |