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    मनपसंद मरम्मत का काम होने की खुशी में एक साहब ने मिस्त्री को 1000/- रुपये की बख्शीश देते हुए कहा,
    "जा, तू भी क्या याद करेगा! आज शाम को भाभी जी को सिनेमा ले जा और उसके बाद किसी रेस्तरां में खाना खा!"

    शाम को दरवाजे की घंटी बजी!

    साहब ने दरवाजा खोला तो मिस्त्री साफ-सुथरे कपडे पहने खडा था!

    साहब ने उसे सिर से पैर तक देखा और पूछा, "कहिये मिस्त्री जी?"

    मिस्त्री: जी वो शाम हो गई है तो भाभी जी को लेने आया हूँ! कहाँ हैं वो?"
  • पत्नी के साथ वक़्त! पत्नी: पूरे टाइम मोबाइल में चिपके रहते हो। कम से कम छुट्टी के दिन तो कुछ वक्त मेरे लिए भी निकाल लिया करो।
    पति ने मोबाइल चार्जिंग में लगाया और बोला...
  • श्लोक का रहस्य! एक छात्र ने संस्कृत के शिक्षक से पूछा: गुरुजी, एरिक तम नपाम्रधू। एरिक तम नपाद्यम।।
    इस श्लोक का अर्थ क्या होता है। गुरूजी ने यह श्लोक सभी संस्कृत की पुस्तकों एवं ग्रंथों में खूब ढूंढा, सभी संस्कृत के ज्ञाताओं...
  • बिना टिकट यात्रा! एक पहलवान बस में चढ़ा।
    कंडक्टर: भाई साहब, टिकट!
    पहलवान: हम टिकट नहीं लेते...
  • पुरुष! भगवान की ऐसी रचना जो बचपन से ही त्याग और समझौता करना सीखता है।
    वह अपने चॉकलेटस का त्याग करता है अपने दांत बचाने के लिये।
    वह अपने सपनो...
  • एक हसीन सपना! पत्नी: मैं आठ दिनों के लिए मायके जा रही हूँ। मुझे मालूम है कि तुम्हें खाना बनाना नहीं आता और रात का खाना तुम्हें ताजा और गर्म चाहिए। इसीलिए मैंने अपनी सहेली...