दादा जी: सारा दिन मोबाइल! फेसबुक...बोर नहीं होता क्या तू? ऐसा क्या है उसमें? पोता: अरे दादा जी आप एक काम करो, आप इसमें अपने पुराने मित्रों को ढूँढो! इसे एक बार इस्तेमाल करके देखो! फिर कहना! दादा जी: मुझे नहीं करना ये सब! पोता: एक बार करके तो देखिये! दादाजी: अरे, वो सब तो मेरे साथ तीसरी, चौथी तक पढ़े... उन सबको ये पता होगा क्या? पोता: अरे, आप एक बार, ट्राय तो करो दादा जी! और फिर 88 साल के सदानंद जी का फेसबुक अकाउंट बनाया गया! आधे घंटे के भीतर, चन्द्रकान्त पाटिल, यशवंत राव और झामलू यादव, इत्यादि इनकी फ्रेंड रिक्वेस्ट आ गई! यह सब फ्रेंड रिक्वेस्ट देखते ही दादा जी की आँखें चमक उठीं और वे पोते से बोले, "अरे, बेटा जरा देख तो... इसमें लीलावती चौरसिया या फिर मंदाकिनी चौहान, इनका कहीं पता लगता है क्या?" |