जरूरी नहीं, कि पापों के प्रायश्चित के लिए दान पुण्य ही किया जाए। स्टेट बैंक में खाता खुलवा कर भी प्रायश्चित किया जा सकता है। छोटा मोटा पाप हो, तो बैलेंस पता करने चले जाएँ। चार काउन्टर पर धक्के खाने के बात पता चलता है, कि बैलेंस गुप्ता मैडम बताएगी। गुप्ता मैडम का काउन्टर कौन सा है, ये पता करने के लिए फिर किसी काउन्टर पर जाना पड़ता है। लेवल वन कम्प्लीट हुआ। यानि गुप्ता मैडम का काउन्टर पता चल गया है। लेकिन अभी थोड़ा वेट करना पड़ेगा, क्योंकि मैडम अभी सीट पर नहीं है। आधे घंटे बाद चश्मा लगाए, पल्लू संभालती हुई, इंटरनेट की 2G स्पीड से भी धीरे चलती हुई गुप्ता मैडम सीट पर विराजमान हो जाती है। आप मैडम को खाता नंबर देकर बैलेंस पूछते हैं। मैडम पहले तो आपको इस तरह घूरती हैं, जैसे आपने उसकी बेटी का हाथ मांग लिया है। आप भी अपना थोबड़ा ऐसे बना लेते हैं जैसे सुनामी में आपका सबकुछ उजड़ गया है, और आज की तारीख में आपसे बड़ा लाचार दुखी कोई नहीं है। गुप्ता मैडम को आपके थोबड़े पर तरस आ जाता है, और बैलेंस बताने जैसा भारी काम करने का मन बना लेती है। लेकिन इतना भारी काम, अकेली अबला कैसे कर सकती है? तो मैडम सहायता के लिए आवाज लगाती है, "मिश्रा जी, ये बैलेंस कैसे पता करते है?" मिश्रा जी, "अबला की करुण पुकार सुनकर अपने ज्ञान का खजाना खोल देते हैं। पहले तो खाते के अंदर जाकर क्लोजिंग बैलेंस पर क्लिक करने पर बैलेंस आ जाता था। लेकिन अभी सिस्टम चेंज हो गया है। अभी आप f5 दबाएँ, और इंटर मार दे तो बैलेंस दिखा देगा।" गुप्ता मैडम चश्मा ठीक करती हैं, तीन बार मॉनिटर की तरफ और तीन बार की-बोर्ड की तरफ नजर मारती हैं। फिर उंगलियाँ की-बोर्ड पर ऐसे फिरातीं है, जैसे कोई तीसरी क्लास का लड़का वर्ल्ड मैप में सबसे छोटा देश मस्कट ढूंढ रहा हो। मैडम फिर मिश्रा जी को मदद के लिए पुकारती हैं, "मिश्रा जी, ये f5 किधर है?" मैडम की उम्र पचास से ऊपर होने के कारण शायद मिश्रा जी पास आकर मदद करने की जहमत नहीं उठाते।इसलिए वहीं बैठे बैठे जोर से बोलते हैं, "की-बोर्ड में सबसे ऊपर देखिये मैडम।" "लेकिन सबसे ऊपर तो सिर्फ तीन बत्तियां जल रही हैं?" " हाँ उन बत्तियों के नीचे है। लम्बी लाईन है f1 से लेकर f12 तक।" और फिर मैडम को f5 मिल जाता है। मैडम झट से बटन दबा देती है। मोनिटर पर आधे घंटे जलघड़ी, ( कुछ लोग उसे डमरू समझते हैं) बनी रहती है। अंत में एक मैसेज आता है, "Session expired. Please check your connection." मैडम अपने हथियार डाल देती है। एक नजर, आपके गरीबी लाचारी से पुते चेहरे पर डालती है और कहती है, "सॉरी, सर्वर में प्रॉब्लम है।" कहने का टोन ठीक वैसा ही होता है, जैसे पुरानी फिल्मों में डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर से बाहर आ कर कहता था, "सॉरी! हमने बहुत कोशिश की पर ठाकुर साहब को नहीं बचा पाए।" |