एक महिला डिप्रेशन के इलाज के लिए डाक्टर के पास गई।
डाक्टर ने पूछा कि डिप्रेशन की शुरुआत कैसे होती है? महिला ने जवाब दिया - बुरे-बुरे ख़याल आते हैं। उल्टे सीधे ख़याल आते हैं। डाक्टर ने कहा - कोई उदाहरण दीजिए कि कैसे ख़याल आते हैं? महिला ने कहा - अब आप अपने क्लीनिक का ही उदाहरण ले लीजिए। मैं जब यहाँ आई तो देखा कि आपके पास एक भी मरीज़ नहीं है तो मुझे खयाल आया कि आपने डाक्टरी की पढ़ाई की है। ख़ूब पैसे ख़र्च हुए होंगे, शायद एजुकेशन लोन भी ले रखा हो। इतना बड़ा क्लीनिक बनाया है, महँगा एक्विपमेंट है, स्टाफ है। इसके लिए अलग से लोन लिया होगा। इन सब पर तो रोज़ाना का ख़र्चा ही बहुत आता होगा। बिना मरीज़ के कैसे चलेगा ? क्लीनिक बंद हो जाएगा, क़र्ज़ अलग से चढ़ जाएगा। स्टाफ़ का क्या है, दूसरी जगह नौकरी कर लेंगे पर डाक्टर साहब का क्या होगा? महिला का क्या बना ये तो पता नहीं, पर उसके बाद से डाक्टर साहब डिप्रेशन में हैं। |