एक कर्नल साहब कुंए में गिर गये! सिपाही कुंए में रस्सा फेंकते, जैसे ही कर्नल साहब ऊपर आते, सिपाही रस्सी छोड़ कर कर्नल साहब को सलूट करते, तो कर्नल साहब फिर से कुंए में गिर जाते।
एक अनुभवी सैनिक ने सलाह दी कि एक ब्रिगेडियर साहब को तकलीफ देते हैं ताकि उन्हें सलूट ना करना पड़े। एक ब्रिगेडियर को बुलाया गया। ब्रिगेडियर साहब ने रस्सी फेंकी। कर्नल साहब ने रस्सी पकड़ी और ब्रिगेडियर साहब खींचने लगे। कर्नल साहब जैसे ही किनारे पर पहुंचे, उनकी नज़र ब्रिगेडियर साहब पर पड़ी, कर्नल साहब ने रस्सा फेंककर ब्रिगेडियर साहब को सलाम किया और फिर कुंए में गिर गए। यह बार बार हुआ। आख़िरकार कर्नल साहब की आवाज़ कुंए से आई। "कमबख्तों, एक बैच मेट को बुलाओ'' शिक्षा: बैच मेट ही जान बचा सकते हैं! |