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    पापा जी के बड़े बेटे का कहना है कि उनका लोकतंत्र पर से यकीन सन 88 में ही उठ गया था, जब हमारी स्कूल की छुट्टियां हुई और रात को खाने की मेज़ पर पापा ने पूछा, "बताओ बच्चों छुट्टियों में दादा के घर जाना है या नाना के?"

    सब बच्चों ने खुशी से हम आवाज़ होकर नारा लगाया - "दादा के ..."

    लेकिन अकेली मम्मी ने कहा कि "नाना के...।"

    बहुमत चूंकि दादा के हक़ में था, लिहाज़ा मम्मी का मत हार गया और पापा ने बच्चों के हक़ में फैसला सुना दिया, और हम दादा के घर जाने की खुशी दिल में दबा कर सो गए।

    अगली सुबह मम्मी ने तौलिए से गीले बाल सुखाते हुए मुस्कुरा कर कहा - "सब बच्चे जल्दी जल्दी कपड़े बदल लो हम नाना के घर जा रहे हैं।"

    मैंने हैरत से मुँह फाड़ के पापा की तरफ देखा, तो वो नज़रें चुरा कर अख़बार पढ़ने कि अदाकारी करने लगे...

    बस मैं उसी वक़्त समझ गया था कि लोकतंत्र में फैसले आवाम की उमंगों के मुताबिक नहीं, बल्कि बंद कमरों में उस वक़्त होते हैं, जब आवाम सो रही होती हैI
  • सेर पे सवा सेर! एक बै रब्बू नै 500 रुपय्ये की जरूरत पड़-गी - सोची अक लाला जी पै ले ल्यूं ।

    रब्बू नै फोन खटकाया । लाला जी के फोन उठाते ही रब्बू बोल्या...
  • अलग-अलग बीमारियों में दारू कैसे पीएँ? * खाँसी हो तो मुलैठी के पानी के साथ
    * बुखार हो तो शहद मिलाकर
    * गर्मी हो तो सोडा के साथ
    * ठंड लगे तो छुवारे के साथ...
  • कहानी से सबक! स्कूल में टीचर ने चौथी क्लास के बच्चों को होमवर्क दिया।
    "कोई स्टोरी सोच के आना और फिर क्लास को बताना कि उससे हमें क्या सबक मिलता है?"
    अगले दिन एक बच्चे ने क्लास में स्टोरी सुनाई:...
  • ये कैसा कानून एक बार अदालत में किसी मुक़दमे को लेकर दो वकीलों के बीच जिरह हो रही होती जो कि बाद में लड़ाई में तब्दील हो जाती है और बात गाली गलौच तक पहुँच जाती है...
  • घोड़ी का फ़ोन! एक बार एक पति अखबार पढ़ रहा होता है की तभी अचानक पीछे से आकर उसकी पत्नी उसे ज़ोरदार घूंसा मारती है।
    पति दर्द से तडपता हुआ उस से पूछता है, "क्या हुआ?"
    पत्नी: तुम्हारी शर्ट की जेब...