आज रात 11 बजे कोरोना से,मेरी मुलाकात हो गई ! चलते-चलते 6 फीट दूर से, बात हो गयी ! मैंने कहा:- कोरोना ! बड़ा ऊधम. मचाए हो !. चुनावी रैली छोड़कर, क्यों मेलों,बाजारों ,शादी,समारोहों में आए हो ! क्या तुमको भी लगता है़ डर ! सरकारी आयोजनों से ? या लाए गए हो तुम भी, किन्हीं खास प्रयोजनों से ! अब मैं तुमसे, तुम्हारा ही इलाज जानना चाहता हूँ ! कल या परसों नहीं ! अभी और आज ही चाहता हूँ !! ये सुनकर, कोरोना रुआंसा होकर बोला ! कवि महोदय ! तुम सब की पीड़ा गाते हो ! मैं भी तो पीडित हूँ ? क्यों नहीं मेरी व्यथा सुनाते हो ! मैं तो पहले, आया था ! लेकिन अब बुलाया गया हूँ ! सत्ता के सरदारों ने, मुझको हथियार बनाया है़ ! उनकी मर्जी से ही अब मैं, अंदर-बाहर जाता हूँ ! फिर भी जाते-जाते, तुम्हें मैं अपना इलाज बताता हूँ ! जहाँ-जहाँ हिन्दुस्तान में, चुनाव कराया जाएगा ! वहाँ कोरोना का एक भी मरीज नहीं पाया जाएगा ! देश की भोली जनता में, समझ का अभाव है़ ! सुनो कविवर ! मेरा इलाज, सिर्फ और सिर्फ, चुनाव है़ !! |