पठान ने अपनी बेगम को अस्पताल में भर्ती कराया। तभी उसका दोस्त वहाँ आया और पूछा, "क्या हुआ भाभी को?" पठान: ओए क्या बताऊँ यार, बाथरूम में नहा रही थी, और अचानक चक्कर खा कर गिर गई, सिर जमीन से जा टकराया, खून ही खून यार। दोस्त: ओह यार, बहुत बुरा हुआ, अब कैसी है? पठान: अब तो ठीक है डॉक्टर ने कहा कि अगर और थोडी देर हो जाती तो कोमा में जा सकती थी। दोस्त: फिर भाभी ने तुमको आवाज लगाई कैसे? पठान: ओ पागल वो बेचारी, आवाज कहाँ से लगाती? बेहोश पडी थी, वो तो अच्छा हुआ सामने वाले मकान से सिंधी भाई उसको नहाते हुए देख रहे थे। उसी ने आकर हमको बताया वरना ना जाने क्या हो जाता? खुदा भला करे सिंधी का। वरना आजकल तू ही बता यार इतने अच्छे पडोसी कहाँ मिलते हैं? |
पठान अपनी बैलगाडी में अनाज के बोरे लादकर शहर ले जा रहा था। अभी गाँव से निकला ही था कि एक खड्डे में उसकी गाड़ी पलट गई। पठान गाड़ी को सीधी करने की कोशिश करने लगा। थोड़ी ही दूर पर एक पेड़ के नीचे बैठे एक राहगीर ने यह देखकर आवाज़ दी, "अरे भाई, परेशान मत हो, आ जाओ मेरे साथ पहले खाना खा लो फिर मैं तुम्हारी गाड़ी सीधी करवा दूंगा।" पठान: धन्यवाद, पर मैं अभी नहीं आ सकता। मेरा दोस्त बशीर नाराज़ हो जायेगा। राहगीर: अरे तुझसे अकेले नहीं उठेगी गाड़ी। तू आजा खाना खा ले फिर हम दोनों उठाएंगे। पठान: नहीं, बशीर बहुत गुस्सा हो जायेगा। राहगीर: अरे मान भी जाओ। आ जाओ तुम मेरे पास। पठान: ठीक है आप कहते हैं तो आ जाता हूँ। पठान ने जमकर खाना खाया फिर बोला, "अब मैं चलता हूँ गाड़ी के पास और आप भी चलिए। बशीर गुस्सा हो रहा होगा।" राहगीर ने मुस्कुराते हुए कहा, "चलो पर तुम इतना डर क्यों रहे हो? वैसे अभी कहाँ होगा बशीर?" पठान: गाड़ी के नीचे। |
एक बार पठान अपनी बेगम के साथ मेला देखने गया। मेले में हवाई जहाज की सैर भी करवाते थे। पठान ने सोचा कि चलो हम भी हवाई जहाज की सैर कर लेते हैं लेकिन 200 रुपये की टिकट सुनकर पठान का मुंह लटक गया। यह देखकर चालक बोला, "आप हवाई जहाज में आधा घंटा सैर कर सकते हैं। इस दौरान अगर आप के मुंह से आवाज़ निकली तो मैं आप से टिकट के पैसे लूंगा, नहीं तो यह सैर आप के लिए मुफ्त।" पठान सुन कर खुश हो गया और मान गया। दोनों जहाज में बैठ गए और चालक ने अपने करतब दिखाने शुरू कर दिए। चक्कर बनाया, उल्टा घुमाया और कभी डाइव लगायी। आखिर में उसने जहाज नीचे उतारा। नीचे उतरने के बाद चालक बोला, "मान गए पठान साहब आपको, इस तरह के करतबों के साथ तो किसी की भी चीखें निकल जाती लेकिन आपने तो एक आवाज़ नहीं निकाली।" पठान ने अपने माथे से पसीना पोंछा और बोला, "अब आपको कैसे बताऊँ कि किस तरह मैंने अपने आप को रोका यहाँ तक कि बेगम के बाहर गिरने पर भी मैं नहीं बोला क्योंकि 200 रुपये का सवाल था।" |
पठान: हकीम साहब, मेरे दोस्त की तबियत बहुत ख़राब है, उसे नींद नहीं आ रही है। कृपया नींद आने की कोई दवाई दे दीजिये। हकीम: यह लो पुड़िया और इस में से पच्चीस पैसे के सिक्के पर जितनी आये उतनी रख कर पानी से दे देना। अगले दिन पठान घबराया हुआ आया। पठान: हकीम साहब, आपने जो दवाई दी थी उसे खाकर मेरे दोस्त की मौत हो गयी। हकीम: वो कैसे? यह बताओ तुमने दवाई दी कैसे थी? पठान: आपने कहा था कि पच्चीस पैसे के सिक्के पर जितनी आये उतनी रखकर खिला देना। मेरे पास पच्चीस पैसे का सिक्का तो नहीं था। इसलिए मैंने पांच पैसे के सिक्के पर रखकर पांच बार दे दी! |