कॉलेज में एक लड़की ने दाखिला लिया तो सारे लड़के-लड़कियों ने उसे चिढ़ाने के लिए 'बुआ' कहना शुरू कर दिया। कुछ दिनों तक तो उस बेचारी ने सहन किया। अंत में उसने तंग आकर प्रिंसिपल से शिकायत कर दी। लड़की की बात सुन कर प्रिंसिपल को बड़ा क्रोध आ गया। वह क्लास रूम में पहुंचे और बोले, "जो भी इसे बुआ कहता है वह तुरन्त खड़ा हो जाये।" एक-एक करके सारी क्लास खड़ी हो गई। केवल पप्पू बैठा रहा तो प्रिंसिपल ने बड़ी हैरानी के साथ उससे पूछा, "क्यों पप्पू तुम क्यों बैठे हो? क्या तुम इसे बुआ नहीं कहते?" पप्पू ने ठंडी सांस भरकर कहा, "नहीं सर, मैं इस क्लास का फूफा हूं।" |
एक दिन बंटी अपने दोस्त पप्पू से सलाह लेने गया। बंटी: यार पप्पू,मैं तुमसे सलाह लेना चाहता हूँ। पप्पू: ज़रूर लो दोस्त, मुफ्त मिलेगी। बंटी: बात यह है कि मैं किसी लड़की से प्रेम करता हूँ और वो भी मुझे चाहती है। हम दोनों शादी करना चाहते है। पप्पू: यह तो अच्छी बात है इसमें दिक्कत क्या है? बंटी: मेरे पिता जी इस शादी के खिलाफ हैं। पप्पू: क्यों? बंटी: क्योंकि वो बहुत ग़रीब है और मेरे पिता जी मेरी शादी किसी विधवा से करना चाहते हैं जो कि बहुत अमीर है। पप्पू (कुछ सोचने के बाद): देखो दोस्त यह तुम्हारी ज़िन्दगी है। तुम वही करो जिससे तुम खुश रह सको। तुम अपनी प्रेमिका से शादी करने का पक्का फैंसला करो और अपने पिता जी को बता दो। मुझे विश्वास है कि वो तुम्हारी बात को समझ जायेंगे। बंटी: तुम ठीक कहते हो, मैं आज ही पिता जी से बात करता हूँ। पप्पू: और हाँ, उस विधवा का पता मुझे बता दो! |
प्रोफेसर (वकालत की क्लास में): अगर तुम्हें किसी को संतरा देना हो तो क्या बोलोगे? पप्पू: यह संतरा लो। प्रोफेसर: नहीं, एक वकील की तरह बोलो। पप्पू: मैं एतद् द्वारा अपनी पूरी रुचि और बिना किसी के दबाव में इस फल को, जो संतरा कहलाता है, उसके छिलके, रस, गूदे और बीज समेत धारक को देता हूं और साथ ही इस बात का सम्पूर्ण अधिकार भी कि इसे लेने वाला इसे काटने, छीलने, फ्रिज में रखने या खाने के लिए पूरी तरह अधिकार रखेगा और साथ ही यह भी अधिकार रखेगा कि इसे वह दूसरे को छिलके, रस, गूदे और बीज के बिना या उसके साथ दे सकता है और इसके बाद मेरा किसी भी प्रकार से इस संतरे से कोई संबंध नहीं रह जाएगा। |
अध्यापिका पप्पू से: तुम इतने परेशान क्यों हो? पप्पू ने कोई जवाब नहीं दिया। अध्यापिका: क्या हुआ, क्या तुम अपना पेन भूल आये हो? पप्पू फिर चुप। अध्यापिका ने फिर से सवाल किया: रोल नंबर भूल गए हो? पप्पू इस बार भी चुप। अध्यापिका फिर से: हुआ क्या है, कुछ तो बताओ क्या भूल गए? पप्पू गुस्से से: ओये! चुप कर मेरी माँ, यहाँ मैं पर्ची गलत ले आया हूँ और तुझे पेन-पेंसिल और रोल नंबर की पड़ी हुई है। |