एक बार एक शिक्षक ने क्लास में बच्चों से एक सवाल पूछा। शिक्षक: बच्चों अगर तुम देखो की तुम्हारे स्कूल के सामने एक बदमाश बम रख कर जा रहा है तो तुम क्या करोगे? शिक्षक का सवाल सुन कर बच्चे एक दूसरे का मुंह ताकने लगे पर जवाब किसी को नहीं सुझा, तो आखिरी बेंच पर शिक्षक ने देखा की पप्पू बैठा हुआ मुस्कुरा रहा है। पप्पू को मुस्कुराता हुआ देख कर शिक्षक ने उस से पूछा, "बेटा पप्पू क्या तुम जवाब जानते हो"? पप्पू: जी मास्टरजी जवाब तो मेरे पास है पर मैं बताउंगा नहीं क्योंकि उसके बाद आप मुझे मारोगे। शिक्षक: नहीं बेटा नहीं मारूंगा तुम जवाब बताओ। पप्पू: मास्टरजी पहले तो हम कुछ देर इंतज़ार करेंगे कि पुलिस आकर उस बम को निष्क्रिया कर दे और अगर पुलिस नहीं आयी तो हम चुपचाप वह बम लाकर स्टाफ रूम में रख देंगे। |
अध्यापक कक्षा में रामायण के इतिहास के बारे में बता रहे थे। अध्यापक: बच्चों रामचंद्र ने समुन्द्र पर पुल बनाने का निर्णय लिया। पप्पू: सर मैं कुछ कहना चाहता हूँ। अध्यापक: कहो बेटा। पप्पू: रामचन्द्र का पुल बनाने का निर्णय गलत था। अध्यापक: कैसे? पप्पू: सर उनके पास हनुमान थे जो उड़कर लंका जा सकते थे तो उनको पुल बनाने की कोई जरुरत ही नही थी। अध्यापक: हनुमान ही तो उड़ना जानते थे बाकी रीछ और वानर तो नही उड़ते थे। पप्पू: सर वो हनुमान की पीठ पर बैठकर जा सकते थे। जब हनुमान पूरा पहाड़ उठाकर ले जा सकते थे तो वानर सेना को भी तो उठाकर ले जा सकते थे। अध्यापक: भगवान की लीला पर सवाल नही उठाया करते। पप्पू: वैसे सर एक उपाय और था। अध्यापक: क्या? पप्पू: सर हनुमान अपने आकार को कितना भी छोटा बड़ा कर सकते थे जैसे सुरसा के मुँह से निकलने के लिए छोटे हो गए थे और सूर्य को मुँह में देते समय सूर्य से बड़े तो वो अपने आकार को भी तो समुन्द्र की चौड़ाई से बड़ा कर सकते थे और समुन्द्र के ऊपर लेट जाते। सारे बंदर हनुमान जी की पीठ से गुजरकर लंका पहुँच जाते और रामचंद्र को भी समुन्द्र की अनुनय विनय करने की जरुरत नही पड़ती। वैसे सर एक बात और पूछूँ? अध्यापक: पूछो। पप्पू: सर सुना है समुन्द्र पर पुल बनाते समय वानरों ने पत्थर पर राम राम लिखा था जिससे पत्थर पानी पर तैरने लगे थे। अध्यापक: हाँ तो ये सही है। पप्पू: सवाल ये है बन्दर भालुओं को पढ़ना लिखना किसने सिखाया था? अध्यापक: हरामखोर बंद कर अपनी बकवास और मुर्गा बन जा। |
एक बार मास्टर जी अपनी क्लास के बच्चो से पूछने लगे, "बच्चो जिस तरह 20 - 20 क्रिकेट आने से क्रिकेट देखने का मजा बढ़ गया, उसी तरह तुम्हारी परीक्षा लेने का तरीका किस तरह से रोमांचक बनाया जा सकता है?"
जब कोई नहीँ बोला तो पप्पू इस सवाल का जवाब देने के लिए खड़ा हो गया। मास्टर जी उसके खुराफाती दिमाग को जानते थे। आँखें तरेरी पर फिर भी न चाहते हुए बोले, "जल्दी से बता।" पप्पू गंभीर होकर बोला, "मास्टर जी हमारा पेपर एक घंटा 20 मिनट का होना चाहिए। हर बीस मिनट के बाद छात्रों को आपस मेँ बात करने के लिए के लिए दो मिनट का "Time Off " मिलना चाहिए। बच्चों को एक "Free Hit" मिलनी चाहिए, जिसमेँ बच्चे किसी भी एक सवाल का अपनी मर्जी से उत्तर लिख सकेँ। पहले 20 मिनट मेँ "Power Play" होना चाहिए जिसमे ड्यूटी वाला मास्टर कमरे से बाहर रहे। और हर एक सही उत्तर लिखने पर "Cheer Leaders" आकर कमरे मेँ डांस करेँ।" |
यकीन मानिये पंजाबी भाषा से कुछ भी हो सकता है! टीचर पप्पू से: 'दिवाली' के बारे कुछ बताओ? पप्पू: ये है 'दिवाली' का इतिहास, इक वार इक मुण्डा सी। उसदा नाम हैप्पी सी। ओ अपने कन्ना विच वालियाँ पांन्दा सी। इक दिन उस दी वाली गुम गई। उसने बहुत लब्बी पर नही मिली पर थोड़ी देर बाद किसी होर मुंडे नू उस दी वाली मिल गई। लोक्का ने उस तो पूछया कि एह की है? ताँ उसने कहा कि एह 'हैप्पी दी वाली' है। बस उस दिन तो सारे 'हैप्पी दिवाली' मनान लग पए। |