Hindi Jokes

  • वैक्यूम क्लीनर!

    एक औरत ने दरवाजा खोला तो दरवाजे पर उसने देखा कि सामने एक आदमी है जो एक वैक्यूम क्लीनर को हाथ में उठाये हुए है!

    गुड मॉर्निंग मैडम! मेरा नाम बंता है मैं आपका थोड़ा समय लेना चाहूँगा, मैं आपको एक बिल्कुल नया, उच्च गुणवत्ता और बहुत शक्तियुक्त वैक्यूम क्लीनर दिखाना चाहता हूँ!

    औरत ने कहा चले जाओ यहाँ से! मेरे पास इतने पैसे नही है और वह मुड़कर दरवाजा बंद करने लगी!

    बंता ने जल्दी से दरवाजे के बीच में अपनी टांग को रखा और दरवाजे को खोलते हुए बोला देखिये मैडम मेरी बात तो सुनिए बस एक बार मैं आपको इसका नमूना न दिखा दूँ और यह कहते हुए उसने पास में पड़ा हुआ घोड़े की लीद से भरा हुआ डिब्बा फर्श पर उड़ेल दिया सारे फर्श पर लीद को उड़ेल कर उस औरत से बोला:

    मैडम देखिएगा अगर ये वैक्यूम क्लीनर इसको पूरा साफ़ नही कर पाया तो मैं बचे हुए मल को अपने मुहं से चाटकर साफ़ करूँगा!

    औरत थोड़ी देर चुप रही फिर कहा मुझे लगता है आज तुम्हारी भूख अच्छी तरह से शांत हो जाएगी क्योंकि आज सुबह से शाम तक बिजली बंद है!
  • आदमी को कहीं तो सुख मिले!

    तीन आदमी मरने के बाद भगवान के पास पहुंचे।

    पहला आदमी: मैं पुजारी था। मैंने आपकी बड़ी सेवा की है, मुझे स्वर्ग में भेजिए।

    भगवान: चम्मचागिरी करता है, इसे नरक में ले जाओ।

    दूसरा आदमी: मैं डॉक्टर था, मैंने जीवन भर बीमार लोगों की सेवा की है। भगवान: तो कईयों को मारा भी तो है? इसे भी नरक में ले जाओ।

    तीसरा आदमी: मैं एक शादीशुदा आदमी था और...

    भगवान भावुक होकर, "बस कर पगले! रुलाएगा क्या? चल अंदर चल।
  • ऑनलाइन क्लास के नुकसान!

    टीचर: आप क्या अपने बच्चे की पढाई पर कोई ध्यान नहीं देते!

    पिता: क्या हुआ? आप ऐसा क्यों कह रहे हो?

    टीचर: आपके बेटे को 1 से 100 अंक बोलने को कहो तो 45 से सीधा 66 बोलता है! ऐसा क्यों?

    पिता: वो तो कह रहा है ये आपने ही सिखाया है!

    टीचर: ऐसे कैसे हो सकता है!

    पिता: मैंने भी उस नालायक को कितनी बार कहा कि 45 के बाद 46, 47आते हैं, लेकिन जिस दिन आप सीखा रहे थे तब नेटवर्क चला गया था और जब नेटवर्क वापस आया तब आप 66 पे पहुंच गये थे! इसलिए अब वो कह रहा है कि 45 के बाद 66 ही आता है, ऐसा मेरी टीचर ने मुझे सिखाया है!
  • श्री कृष्णा का वास!

    एक सन्यासी घूमते-फिरते एक दुकान पर आये! दुकान में अनेक छोटे-बड़े डिब्बे थे!

    सन्यासी ने एक डिब्बे की ओर इशारा करते हुए दुकानदार" से पूछा, "इसमें क्या है?"

    दुकानदार ने कहा, "इसमें नमक है।"

    सन्यासी ने फिर पूछा, "इसके* पास वाले में क्या है?"

    दुकानदार ने कहा, "इसमें हल्दी है।"

    इसी प्रकार सन्यासी पूछ्ते गए और दुकानदार बतलाता रहा।

    अंत मे पीछे रखे डिब्बे का नंबर आया, सन्यासी ने पूछा, "उस अंतिम डिब्बे में क्या है?"

    दुकानदार बोला, "उसमें श्रीकृष्ण हैं।"

    सन्यासी ने हैरान होते हुये पूछा, "श्रीकृष्ण !! भला यह "श्रीकृष्ण" किस वस्तु का नाम है भाई? मैंने तो इस नाम के किसी सामान के बारे में कभी नहीं सुना!"

    दुकानदार सन्यासी के भोलेपन पर हंस कर बोला, "महात्मन! और डिब्बों मे तो भिन्न-भिन्न वस्तुएं हैं | पर यह डिब्बा खाली है| हम खाली को खाली नहीं कहकर श्रीकृष्ण कहते हैं!"

    संन्यासी की आंखें खुली की खुली रह गई ! जिस बात के लिये मैं दर-दर भटक रहा था, वो बात मुझे आज एक व्यापारी से समझ आ रही है। वो सन्यासी उस छोटे से किराने के दुकानदार के चरणों में गिर पड़ा, ओह, तो खाली में श्रीकृष्ण रहता है !

    सत्य है! भरे हुए में श्रीकृष्ण को स्थान कहाँ ?

    काम, क्रोध, लोभ, मोह, लालच, अभिमान, ईर्ष्या, द्वेष और भली-बुरी, सुख-दुख की बातों से जब दिल-दिमाग भरा रहेगा तो उसमें ईश्वर का वास कैसे होगा?