दोस्तों आज हम कुछ मुहावरों के आधुनिक अर्थ जानेंगे। जो हमरे वैवाहिक जीवन में इस्तेमाल होते हैं। 1. सुख की जान दुःख में डालना - शादी करना 2. आ बैल मुझे मार - पत्नी को लड़ाई के लिए आमंत्रित करना 3. दीवार से सर फोड़ना - पत्नी को कुछ समझाना 4. चार दिन की चाँदनी वहीं अँधेरी रात - पत्नी का मायके से घर आना 5. आत्म हत्या के लिए प्रेरित करना - शादी की राय देना 6. दुश्मनी निभाना - दोस्तों की शादी करवना 7. खुद का स्वार्थ देखना - शादी ना करना 8. पाप की सजा मिलना - शादी हो जाना 9. लव मैरिज करना - लड़ाई के लिए जोड़ीदार खुद ढूंढ़ना 10. जिंदगी के मज़े लेना - कुँवारा रहना 11. ओखली में सर देना - शादी के लिए हाँ करना 12. दो पाठो में पीसना - दूसरी शादी करना 13. खुद को लुटते हुए देखना - पत्नी का पर्स से पैसे निकालना 14. पैरों तले से जमीन खिसकना - पत्नी सामने दिखना 15. गलती पर पछताना - शादी के फ़ोटो देखना 16. सर मुंडाते ही ओले पड़ना - परीक्षा में फेल होते ही शादी हो जाना 17. शादी के लिए हाँ करना - स्वेच्छा से आत्महत्या करना 18. शादी - बिना अपराध की सजा 19. बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना - दूसरों के दुःख से खुश होना 20. साली आधी घर वाली - वो स्कीम जो दूल्हे को बताई जाती है लेकिन दी नहीं जाती। |
समानताएं: 1. घड़ी चौबीस घंटे टिक-टिक करती रहती है, और पत्नी चौबीस घंटे किट-किट करती रहती है। 2. घड़ी की सूइयाँ घूम-फिर कर वहीं आ जाती हैं। उसी प्रकार पत्नी को आप कितना भी समझा लो, वो घूम- फिर कर वहीं आ जायेगी और अपनी ही बात मनवायेगी। 3. घड़ी बिगड़ जाये तो मैकेनिक के यहाँ जाती है। पत्नी बिगड़ जाये तो मायके जाती है। 4. घड़ी को चार्ज करने के लिये सेल (बैटरी) का प्रयोग होता है, और पत्नी को चार्ज करने के लिये सैलेरी का प्रयोग होता है। विषमतायें: 1. घड़ी में जब 12 बजते हैं तो तीनों सूइयाँ एक दिखाई देती हैं, लेकिन पत्नी के जब 12 बजते हैं तो एक पत्नी भी 3-3 दिखाई देती है। 2. घड़ी के अलार्म बजने का फिक्स टाइम है, लेकिन पत्नी के अलार्म बजने का कोई फिक्स टाइम नहीं है। 3.घड़ी बिगड़ जाये तो रूक जाती है, लेकिन जब पत्नी बिगड़ जाये तो शुरू हो जाती है। 4. सबसे बड़ा अंतर ये कि घड़ी को जब आपका दिल चाहे बदल सकते हैं, मगर पत्नी को चाह कर भी बदल नहीं सकते, उल्टा पत्नी के हिसाब से आपको खुद को बदलना पड़ता है। |
एक दंपत्ति की शादी को साठ वर्ष हो चुके थे। उनकी आपसी समझ इतनी अच्छी थी कि इन साठ वर्षों में उनमें कभी झगड़ा तक नहीं हुआ। वे एक दूजे से कभी कुछ भी नहीं छिपाते थे। हां, पत्नी के पास उसके मायके से लाया हुआ एक डिब्बा था जो उसने अपने पति के सामने कभी नहीं खोला था। उस डिब्बे में क्या है वह नहीं जानता था। कभी उसने जानने की कोशिश भी की तो पत्नी ने यह कह कर टाल दिया कि सही समय आने पर बता दूंगी। आखिर एक दिन बुढि़या बहुत बीमार हो गई और उसके बचने की आशा न रही। उसके पति को तभी ख्याल आया कि उस डिब्बे का रहस्य जाना जाये। बुढि़या बताने को राजी हो गई। पति ने जब उस डिब्बे को खोला तो उसमें हाथ से बुने हुये दो रूमाल और 50,000 रूपये निकले। उसने पत्नी से पूछा, "यह सब क्या है?" पत्नी ने बताया, "जब उसकी शादी हुई थी तो उसकी दादी ने उससे कहा था कि ससुराल में कभी किसी से झगड़ना नहीं। यदि कभी किसी पर क्रोध आये तो अपने हाथ से एक रूमाल बुनना और इस डिब्बे में रखना।" बूढ़े की आंखों में यह सोचकर खुशी के मारे आंसू आ गये कि उसकी पत्नी को साठ वर्षों के लम्बे वैवाहिक जीवन के दौरान सिर्फ दो बार ही क्रोध आया था। उसे अपनी पत्नी पर सचमुच गर्व हुआ। खुद को संभाल कर उसने रूपयों के बारे में पूछा, "इतनी बड़ी रकम तो मैंने तुम्हे कभी दी ही नहीं थी, फिर ये कहां से आये?" "रूपये! वे तो मैंने रूमाल बेच बेच कर इकठ्ठे किये हैं।" पत्नी ने मासूमियत से जवाब दिया। |
शादी के बाद पत्नी कैसे बदलती है, जरा गौर कीजिए: पहले साल: मैंने कहा जी खाना खा लीजिए, आपने काफी देर से कुछ खाया नहीं। दूसरे साल: जी खाना तैयार है, लगा दूं? तीसरे साल: खाना बन चुका है, जब खाना हो तब बता देना। चौथे साल: खाना बनाकर रख दिया है, मैं बाजार जा रही हूं, खुद ही निकाल कर खा लेना। पांचवे साल: मैं कहती हूं आज मुझ से खाना नहीं बनेगा, होटल से ले आओ। छठे साल: जब देखो खाना, खाना और खाना, अभी सुबह ही तो खाया था। शादी के बाद पति कैसे बदलते हैं, जरा गौर कीजिए: पहले साल: जानू संभलकर उधर गड्ढा है। दूसरे साल: अरे यार देख के उधर गड्ढा है। तीसरे साल: दिखता नहीं उधर गड्ढा है। चौथे साल: अंधी है क्या गड्ढा नहीं दिखता। पांचवे साल: अरे उधर - किधर मरने जा रही है गड्ढा तो इधर है। |