पप्पू का एग्जाम चल रहा था, मैडम बहुत सख्त थीं, नक़ल करने का कोई मौका नहीं दे रहीं थीं। तभी पप्पू ने एक पर्ची मैडम को दी तो मैडम पूरा एग्जाम कुर्सी पर बैठीं रहीं, सबने खूब नक़ल की। एग्जाम के बाद बच्चों ने पप्पू से पूछा, "तूने ऐसा क्या लिखा था पर्ची में?" पप्पू ने कहा, "आपकी सलवार पीछे से फटी है|" |
एक बार पप्पू पढने के लिए मुंबई जा रहा था तो उसके पिता संता ने उस से कहा बेटा मैं हर महीने तुझे पैसे भेजता रहूँगा पर शर्त यह है की तुझे उसका पूरा हिसाब सही-सही देना होगा। पप्पू ने भी अपने पिता की बात मानी और वैसा ही किया जैसा उसने कहा था। पहले महीने के अंत में उसने संता को हिसाब भेजा। 2000 रूपए कॉलेज की फ़ीस, 3000 रूपए हॉस्टल की फ़ीस, 1500 रूपए खाने के, और चार हज़ार रूपए चुदाई के। पप्पू का हिसाब पढ़ संता ने उसे पत्र लिखा और कहा, " बेटा जो तुम हिसाब भेजते हो वो तो ठीक है परन्तु पत्र में चुदाई शब्द की जगह शिकार शब्द का प्रयोग किया करो क्योंकि वह पत्र तुम्हारी माँ भी पढ़ती है।" संता का पत्र पढ़ कर पप्पू ने अगले महीने का हिसाब भेजा, "2000 रूपए कॉलेज की फ़ीस, 3000 रूपए हॉस्टल की फ़ीस, 1500 रूपए खाने के, और 4000 रूपए शिकार के। पप्पू का पत्र पढ़ कर संता के होश उड़ गए तो उसने जवाब दिया, " बाकी सब तो ठीक है पर शिकार का खर्चा कम करो।" अगले महीने पप्पू ने फिर हिसाब भेजा और लिखा, "2000 रूपए कॉलेज की फ़ीस, 3000 रूपए हॉस्टल की फ़ीस, 1500 रूपए खाने के, और 2000 रूपए शिकार के। संता ने फिर पप्पू को जवाब भेजा, "शिकार पे खर्चा और कम करो।" पप्पू ने चौथे महीने का हिसाब भेजा, " 2000 रूपए कॉलेज की फ़ीस, 3000 रूपए हॉस्टल की फ़ीस, 1500 रूपए खाने के, और 500 रूपए शिकार के। संता ने जवाब भेजा, "शिकार पे खर्चा और कम करो।" इसके बाद तीन महीने तक पप्पू ने संता को कोई हिसाब नहीं भेजा तो संता ने उसे पत्र लिखा, " मादरचोद 3 महीने से तेरा कोई पत्र नहीं आया इसीलिए अब फ़टाफ़ट हिसाब भेज। फिर अचानक एक दिन पप्पू का का पत्र आया, "2000 रूपए कॉलेज की फ़ीस, 3000 रूपए हॉस्टल की फ़ीस, 1500 रूपए खाने के, और 50000 रूपए बन्दूक की मरम्मत के।" |
शिक्षक: बच्चों आज हम व्याकरण पढेंगे, "तो बताओ एक औरत एक खिड़की से झाँक रही है, ये क्या है।" पप्पू: मास्टरजी यह एक वचन है। शिक्षक: शाबाश अब बताओ बहुत सी औरतें खिडकियों से झाँक रही हैं, यह क्या है?" पप्पू: मास्टरजी ये तो रंडी बाज़ार हुआ। |
दस वर्षीय पप्पू और उसके पड़ोस में रहने वाली नौ-वर्षीय चिंकी को साथ-साथ खेलते हुए यह एहसास हो जाता है कि वे एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं, और उन्हें शादी कर लेनी चाहिए। पप्पू चिंकी के पिता के पास पहुंच जाता है, और हिम्मत जुटाकर कह डालता है, "अंकल, मैं और आपकी बेटी चिंकी एक-दूसरे से प्यार करते हैं, और मैं आपसे शादी के लिए उसका हाथ मांगने आया हूं। " चिंकी के पिता को नन्हे शरारती पप्पू की हरकत बेहद प्यारी लगती है, और वह डांटने के बजाए मुस्कुराते हुए उससे से पूछते हैं, "यार, तुम अभी सिर्फ 10 साल के हो, और तुम्हारे पास घर भी नहीं है... तुम और चिंकी रहोगे कहां?" पप्पू तपाक से कहता है, "चिंकी के कमरे में, क्योंकि वह मेरे कमरे से बड़ा है, और वहां हम दोनों के लिए ज़्यादा जगह है..." चिंकी के पिता को अब भी सार्थक की इस मासूमियत पर प्यार आता है, और वह फिर पूछते हैं, "ठीक है, लेकिन तुम लोग गुज़ारा कैसे चलाओगे, आखिर इस उम्र में तुम्हें नौकरी तो मिल नहीं सकती?" पप्पू फिर बहुत शांत स्वर में जवाब देता है, "हमारा जेबखर्च है न उसे 50 रुपये प्रति सप्ताह मिलता है, और मुझे 100 रुपये प्रति सप्ताह, इस हिसाब से हम दोनों के लगभग 600 रुपये हर महीने मिल जाता है, जो हमारी ज़रूरतों के लिए काफी रहेगा। चिंकी के पिता इस बात से भौंचक्के रह जाते हैं, कि पप्पू ने इस विषय पर इतनी गंभीरता से, और इतनी आगे तक सोच रखा है सो, वह सोचने लगते हैं कि ऐसा क्या कहें कि पप्पू को जवाब न सूझे, और उसे इस उम्र में चिंकी से शादी न करने के लिए समझाया जा सके कुछ देर बाद वह फिर मुस्कुराते हुए पप्पू से सवाल करते हैं, "यह बहुत अच्छी बात है, बेटे, कि तुमने इतनी अच्छी तरह सब प्लान किया हुआ है, लेकिन यह बताओ, कि अगर तुम दोनों के बच्चे हो गए, तो क्या यह जेबखर्च कम नहीं पड़ेगा? पप्पू ने इस बार भी तपाक से जवाब दिया, "अंकल, हम बेवकूफ नहीं हैं... जब आज तक नहीं होने दिए, तो आगे भी रोक ही लेंगे। |