एक बार एक पति और पत्नी में लड़ाई हो जाती है, तो पति परेशान हो कर बाजार जाता है और आत्महत्या करने के इरादे से एक बोतल जहर ले कर आ जाता है। घर लौटकर वह अपनी पत्नी से कहता है। पति: बहनचोद मैं तेरी रोज की किटकिट से परेशान हो गया हूं और इसीलिए मैं अपनी जान दे रहा हूं, और इतना कहकर वह जहर की बोतल अपने मुंह में उड़ेल लेता है। परंतु जहर खाने के बाद उसकी मौत होने के बजाये उसकी तबियत खराब हो जाती तो पत्नी गुस्से से उससे कहती है। पत्नी: गांडू के बीज तू ज़िन्दगी में कोई काम ढंग से नहीं कर सकता, तुझसे सौ बार कहा है कि चीजें देखकर खरीदा कर पैसे भी गए और जिस काम के लिए जहर लाया था वो भी नहीं हुआ। |
हम ने जुर्रत जो दिखाई तो बुरा मान गयी; हद हर एक मिटाई तो बुरा मान गयी; खुद ही कहती थी कोई तालुक ना रखो; कोई दूसरी फंसाई तो बुरा मान गयी; खुद ही कहती थी कि छू कर मुझे सोना कर दो; हमने मम्मे दबाये तो बुरा मान गयी; कहती थी हमें कि लॉलीपॉप पसंद है; हमने लुल्ली जो दिखाई तो बुरा मान गयी; ठोकने के लिए उसको हमने खटिया बिछा दी; बस इसी बात का बुरा मान गयी; खुद ही बोली कि कली से फूल मुझे बना दो; हमने जब कर दी चुदाई तो बुरा मान गयी! |
बेटा: पापा पॉलिटिक्स क्या है? बाप: तेरी माँ घर चलाती है उसे सरकार मान लो, मैं कमाता हूँ मुझे कर्मचारी मान लो, कामवाली काम करती है उसे मजदूर मान लो तुम देश की जनता, छोटे भाई को देश का भविष्य मान लो। बेटा: अब मुझे पॉलिटिक्स समझ में आ गयी पापा, कल रात मैंने देखा की कर्मचारी मजदूर के साथ किचन में मज़े ले रहा था, सरकार सो रही थी, जनता की किसी को फ़िक्र नहीं थी और देश का भविष्य रो रहा था। |
अर्ज़ किया है दोस्तों... चूची तेरी नर्म-नर्म और निप्पल पे आई जवानी, गदराये से चूतड़ तेरे गांड तेरी मस्तानी; झांट तेरे घुंघरालु जानू, चुत पे चिप-चिप पानी, चाटूं इसको, चूसूं इसको, सुंघु इसको रानी; लंड मेरा तन्नाया, पा कर गंध सुहानी, आओ चोदे रगड़-रगड़ कर और साथ में छोड़े पानी! |