तेरी याद में आंसुओं का समंदर बना लिया; तन्हाई के शहर में अपना घर बना लिया; सुना है लोग पूजते हैं पत्थर को; इसलिए तुझसे जुदा होने के बाद दिल को पत्थर बना लिया। |
उसको चाहा तो बहुत मगर इज़हार करना नहीं आया; कट गयी उम्र सारी मगर प्यार करना नहीं आया; उसने कुछ माँगा भी तो माँग ली जुदाई हमसे; हम करते भी क्या क्योंकि हमें इंकार करना नहीं आया। |
दरिया वफाओं का कभी रुकता नहीं; मोहब्बत में इंसान कभी झुकता नहीं; खामोश हैं हम उनकी ख़ुशी के लिए; वो समझते हैं कि दिल हमारा दुखता ही नहीं। |
यह दुनिया पत्थर है जो जज़्बात नहीं समझती; दिल में जो है छुपी वो बात नहीं समझती; यह चाँद भी तनहा है तारों की बारात में; दर्द मगर चाँद का ज़ालिम यह रात नहीं समझती। |
हर फूल की एक अजब कहानी है; चुप रहना भी प्यार की एक निशानी है; कहीं कोई ज़ख़्म तो नहीं फिर भी क्यों यह एहसास है; कि जैसे दिल का एक टुकड़ा आज भी उनके पास है। |
महफ़िल भी रोयेगी, हर दिल भी रोयेगा; डूबी जो मेरी कश्ती तो साहिल भी रोयेगा; इतना प्यार बिखेर देंगे हम इस दुनीया में; कि मेरी मौत पे मेरा कातिल भी रोयेगा। |
ज़माने से सुना था कि मोहब्बत हार जाती है; जो चाहत एक तरफ हो वो चाहत हार जाती है; कहीं दुआ का एक लफ्ज़ असर कर जाता हैं; और कभी बरसों की इबादत भी हार जाती है। |
जब मिलने लगा उसकी मोहब्बत में सुकून; फिर यूँ हुआ वो मेरा साथ छोड़ गया; अभी बहुत बाकी थी हसरतें दिल में; मगर वो शख्स अधूरी मुलाक़ात छोड़ गया। |
अनजान थे हम अनजान ही रहने दो; किसी की यादों में हमें पल पल यूँ ही मरने दो; क्यों करते हो बदनाम लेकर नाम हमारा; अब तो इस नाम को गुमनाम रहने दो। |
दुनिया है पत्थर की जज़्बात नहीं समझती; दिल में जो छुपी है वो बात नहीं समझती; चाँद तनहा है तारो की इस बारात में; दर्द मगर चाँद का ज़ालिम यह रात नहीं समझती। |